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Opinion: यूपी में यह कैसी बेशर्मी

मुजफ्फरनगर में दंगा हुआ, कई बेगुनाह मारे गए, कइयों को जान बचाकर अपने गांवों से भागना पड़ा और तथाकथित राहत शिविरों में रहना पड़ा. हाड़ कंपा देने वाली इस भयानक सर्दी में वहां रहने वाले लोग कितनी कठिनाइयां झेल रहे हैं, यह किसी से छुपा नहीं है. टीवी चैनलों, अखबारों ने इस विषय पर काफी कुछ दिखाया और छापा है. लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार को इनकी रत्ती भर परवाह नहीं.

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मुजफ्फरनगर में मातम, सैफई में जश्न
मुजफ्फरनगर में मातम, सैफई में जश्न

मुजफ्फरनगर में दंगा हुआ, कई बेगुनाह मारे गए, कइयों को जान बचाकर अपने गांवों से भागना पड़ा और तथाकथित राहत शिविरों में रहना पड़ा. हाड़ कंपा देने वाली इस भयानक सर्दी में वहां रहने वाले लोग कितनी कठिनाइयां झेल रहे हैं, यह किसी से छुपा नहीं है. टीवी चैनलों, अखबारों ने इस विषय पर काफी कुछ दिखाया और छापा है. लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार को इनकी रत्ती भर परवाह नहीं.

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सपा प्रमुख ने तो उन्हें शरणार्थी मानने से ही इनकार कर दिया. इनके शिविर भी बुलडोजरों से ढहा देने की कोशिश की गई. कुल मिलाकर निहायत ही अमानवीय व्यवहार. और वह भी ऐसी पार्टी के शासनकाल में जो अपने को अल्पसंख्यकों का शुभचिंतक कहती है.

मुलायम सिंह सरकार के महत्वपूर्ण नेता आजम खान के नेतृत्व में अब 17 विधायकों का एक दल विदेश यात्रा पर निकल पड़ा है. ये इंग्लैंड, तुर्की, ग्रीस, यूएई वगैरह का दौरा करेंगे. उधर मुख्यमंत्री के अपने इलाके सैफेई में महोत्सव हो रहा है जहां चार्टर्ड विमानों में भर-भर कर बॉलीवुड के सितारे लाए जा रहे हैं. इनमें माधुरी दीक्षित, सलमान खान, दीपिका पदुकोण, रणवीर कपूर जैसे महंगे सितारे भी हैं. जाहिर है इन सितारों पर काफी बड़ी रकम खर्च की जाएगी और मुलायम सिंह अपनी मंडली के साथ इनके गीत-नृत्य का आनंद उठाएंगे.

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यह लोकतंत्र का कैसा चेहरा है जिसमें हताश, निराश और कष्ट झेल रहे लोगों की आवाज कोई नहीं सुन रहा है ? क्या उनके द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों ने अपने कानों में रूई ठूंस ली है ? सरकार विधायकों के स्टडी टूर के नाम पर करोड़ों रुपये फूंक रही है. हर कोई जानता है कि राजनेताओं के स्टडी टूर में क्या होता है. यह सीधे-सीधे उनके सरकारी पैसे से घूमने का एक तरीका है. यह पैसा उन शरणार्थियों की देखरेख पर खर्च किया जा सकता था. लेकिन उससे भी बढ़कर तो सैफेई महोत्सव पर खर्च किया जाने वाला धन है. मुट्ठी भर लोगों को खुश करने के लिए करोड़ों रुपये पानी में बहाने का क्या औचित्य है?

कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि जीत और सत्ता का नशा मुलायम सिंह और उनकी पार्टी पर पूरी तरह से चढ़ चुका है और वे कुछ करने और सुनने को तैयार नहीं है. यह निहायत ही शर्मनाक है.

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