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OPINION: सुनंदा, शशि थरूर,ट्विटर और मोहल्ला संस्कृति

सोशल मीडिया नया नशा है. इसने लोगों के बोलने-लिखने के तरीके को बदल दिया है. इसने सारी दुनिया को छोटे से मोहल्ले में तब्दील कर दिया है. लोग एक दूसरे की बातें सुनते हैं और करते हैं, ठीक वैसे ही जैसे मोहल्लों में होता है. यहां एक दूसरे पर छींटाकशी से लेकर प्रशंसा के पुल तक बांधे जाते हैं.

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सुनंदा पुष्कर
सुनंदा पुष्कर

सोशल मीडिया नया नशा है. इसने लोगों के बोलने-लिखने के तरीके को बदल दिया है. इसने सारी दुनिया को छोटे से मोहल्ले में तब्दील कर दिया है. लोग एक दूसरे की बातें सुनते हैं और करते हैं, ठीक वैसे ही जैसे मोहल्लों में होता है.

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यहां एक दूसरे पर छींटाकशी से लेकर प्रशंसा के पुल तक बांधे जाते हैं. जैसे मोहल्लों की सयानी औरतें हर किसी का हाल चाल जानने की कोशिश में रहती थीं, ठीक वैसे ही यहां हर ओर निगाहें तैनात हैं जो पलक झपकते ही शब्दों को साइबर स्पेस से उठाकर जिंदगी के गलियारे में भेज देती हैं. यह सूचना तंत्र की अद्भुत उपलब्धि है और इसने जीवन में एक नया रस घोल दिया है.

इसने समाचारों की दुनिया तक बदल दी है और जो समाचार पहले मीडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंचते थे, वे एक ट्वीट से पलक झपकते सारी दुनिया तक पहुंच जाते हैं. ट्वीट करके विवाद खड़ा कर देना या किसी के साथ चुटकी लेना इस माध्यम के जरिये बड़ा आसान है ठीक वैसे ही जैसे किसी मोहल्ले में अपनी बात हल्के से कहकर लोग निकल जाया करते हैं और शाम होते-होते वह बात दूर-दूर तक चली जाती है.

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शशि थरूर इसी सोशल मीडिया की बदौलत अपने को स्थापित करने में सफल हुए, इसके चलते ही एक बार उनकी नौकरी भी गई और इसी के कारण अब वह अपने जीवन का सबसे बड़ा संकट झेल रहे हैं. आज वह जिस स्थिति में हैं उसके लिए वह खुद जिम्मेदार हैं या नहीं. यह तो वक्त बताएगा लेकिन यह जरूर है कि इसमें इस नए नशे का बड़ा योगदान है.

आईपीएल के संस्थापक ललित मोदी से उनके ट्विटर पर टकराव के किस्से घर-घर में सुने जाते थे. एक दूसरे पर बेहद शर्मनाक ढंग से दोनों ने हमले किए. उस समय वह कैटल क्लास की बात भूलकर कुछ वैसा ही बर्ताव कर रहे थे. खुले आम करते तो जाहिल कहलाते लेकिन ट्विटर ने उन्हें एक छद्म सम्मान दिला रखा था. आज सुनंदा पुष्कर हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके साथ जो हुआ वह बेहद दुखद है.

इस ट्विटर ने उनकी तमाम खुशियां छीन ली. जिस तरह से शशि थरूर के अकाउंट से बातें निकलीं और आगे तक गईं, उसकी परिणति में ही यह दुखद घटना हुई. यह सही है कि कुछ समय से दोनों के रिश्तों में दरार पड़ी और फिर आग भड़काने का काम इस सोशल मीडिया ने कर दिया. जब जीवन में अपनों के राज सार्वजनिक हो जाते हैं तो चोट अपने आप को लगती है.

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इस घटना ने एक बात बताई है कि अपने घर की बातें, अपनी तकलीफें अपने तक ही रहें तो बेहतर है. ट्वीट करके अपनी जिंदगी के पन्ने आम करना कोई बुद्धिमानी नहीं है क्योंकि यह दूसरों को आनंदित करने देने का एक बड़ा साधन बन गया है.
(मधुरेंद्र प्रसाद सिन्‍हा वरिष्‍ठ पत्रकार और हमारे संपादकीय सलाहकार हैं)

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