जब भारतीय क्रिकेट में आईपीएल का अवतरण हुआ था तो बहुत से आलोचकों ने कह दिया था कि यह अवैध धन कमाने का एक जरिया बन सकता है. इसमें हेराफेरी की बहुत गुंजाइश है और बाहरी तत्वों का बहुत प्रभाव पड़ सकता है.
यह आशंका निराधार नहीं थी और काफी हद तक ऐसा होता दिख भी रहा है. श्रीसंत जैसे कई बड़े खिलाड़ी इसके जाल में फंस भी गए और अपना करियर ही चौपट कर गए. कई टीमों के मालिकों पर उंगलियां भी उठीं. लेकिन सबसे बड़ा धक्का तो तब लगा जब पता चला कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के शक्तिशाली प्रेसीडेंट एन श्रीनिवासन के दामाद भी इससे जुड़े हुए हैं. इस आधार पर उनसे इस्तीफा भी मांगा गया, लेकिन उन्होंने उस जायज मांग को ठुकरा दिया और अपने पद पर जमे रहे.
उन्होंने एक जांच भी करवाई. जाहिर है कि जब वह उस शक्तिशाली पद पर मजबूती से काबिज थे तो कोई भी जांच निष्पक्ष कैसे हो सकती थी. अब जबकि सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है कि श्रीनिवासन के पद पर बने रहते कोई भी जांच निष्पक्ष नहीं हो सकती और उन्हें इसके लिए इस्तीफा दे देना चाहिए तो बीसीसीआई चीफ के पास कोई और रास्ता नहीं रह जाता. अगर वह ऐसा नहीं करेंगे तो सुब्रत रॉय की ही तरह उन्हें भी सुप्रीम कोर्ट के चाबुक का सामना करना पड़ सकता है. अब श्रीनिवासन को इस्तीफा देना ही होगा. इसके बाद ही आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग के मामले की निष्पक्ष जांच होगी.
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) एक ऐसा खेल संगठन है जिसके पास न केवल बेशुमार पैसा है बल्कि पैसा कमाने के उसके पास रास्ते भी हैं. यह पहला मौका नहीं है कि वहां शीर्ष पदों पर बैठे लोगों पर उंगली उठी हो. आईपीएल में तो कइयों पर उंगलियां उठीं, जिनमें से ललित मोदी तो अभी तक विदेश में बैठे हुए हैं. लेकिन यह मामला तो और बड़ा है जिसमें अवैध तरीके से पैसे कमाने और गैरकानूनी काम करने का आरोप बीसीसीआई प्रेसीडेंट के दामाद पर लगा है.
इतना ही नहीं इस जांच के आधार पर सख्त कारर्वाई भी होनी चाहिए ताकि देश का सबसे पॉपुलर खेल सदा के लिए बदनाम न हो जाए. इसे दागदार लोगों से बचाना ही होगा ताकि करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों के विश्वास को ठेस न पहुंचे. अब यह समय आ गया है कि इस खेल की गंदगी को सदा के लिए दूर कर दिया जाए. अभी तो बस शुरुआत हुई है. आगे-आगे देखिए....क्या गुल खिलते हैं.