अखिलेश यादव जब जीत कर आए थे तो उनसे बहुत उम्मीदें थीं. उनके युवा जोश, मिलनसार स्वभाव और कुछ कर दिखाने के जज्बे ने उन्हें देश के सबसे बड़े राज्य का मुख्यमंत्री बनवा दिया. उनके आने के बाद एक बार तो ऐसा लगा कि अब यह राज्य सुधर जाएगा. लेकिन देखते ही देखते ही सपने टूट गए और यह राज्य आज अराजकता तथा कुशासन का सबसे बड़ा उदाहरण बन गया है. आज इस राज्य में अपराधों का ग्राफ हैरतअंगेज ढंग से ऊपर है और अपराधियों की बन आई है.
इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि पुलिस वालों की मिलीभगत से दो नाबालिग बहनों के साथ गैंगरेप और उनकी नृशंस हत्या. यह दिल दहला देने वाली घटना बदायूं के उसहैत में हुई और इसने पूरे देश को शर्मसार कर दिया.
सुशासन देने का वादा करने वाली सरकार अब चुप है और अखिलेश महज जांच के ऑर्डर दे रहे हैं. यह घटना इसलिए भी भयानक है कि इसमें पुलिस वाले भी मिले हुए हैं और उन्होंने इसे दबाने की कोशिश की है. इतना ही नहीं सभी अपराधी मुख्यमंत्री के जाति के हैं और इसलिए यह मामला काफी संगीन है. जिस दुस्साहस से गुंडों ने पुलिस वालों के साथ मिलकर इस अपराध को अंजाम दिया उसकी मिसाल मिलनी मुश्किल है. इस तरह की घटना यह बताती है कि जब जातिवाद का नंगा नाच होता है तो कुशासन ही जन्म लेता है. सारे देश में इस घटना की निंदा हो रही है और विदेशी मीडिया भी इसे प्रमुखता से प्रकाशित कर रहा है लेकिन सरकार कार्रवाई के नाम पर अभी ऐसा कुछ नहीं कर पा रही है जिससे लगे कि राज्य में सुशासन लाने के लिए अखिलेश यादव वचनबद्ध हैं. सात आरोपियों में पांच ही अब तक पुलिस के हत्थे चढ़े हैं जिससे लगता है कि पुलिस व्यवस्था भी खत्म हो गई है.
उत्तर प्रदेश में इस सरकार के आने के बाद हालात बिगड़े हैं और इसका ही नतीजा है कि नाराज जनता ने सत्तारूढ़ दल से किनारा कर लिया है. जिस जनता ने सपा को पूर्ण बहुमत से जिताया था वही अब उनके इतने खिलाफ हो गई कि लोकसभा चुनाव में पार्टी का लगभग सफाया हो गया और प्रधानमंत्री बनने के मुलायम सिंह यादव के सपने धरे के धरे रह गए. राज्य में कुशासन के बारे में वे अपने नौसिखिये बेटे को डांटकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं. उन्हें लगता है कि इतने भर से काम चल जाएगा.
मुजफ्फरनगर में इतना बड़ा दंगा हुआ और उसमें भी सख्त कार्रवाई नहीं हुई. उस घटना से सरकार ने कोई सबक नहीं सीखा और कानून व्यवस्था को मजबूत करने के लिए कोई भी बड़ा कदम नहीं उठाया. दरअसल उत्तर प्रदेश में सत्ता के कई केंद्र बन गए हैं और सभी वहां अपनी चला रहे हैं. चाटुकारों और स्वार्थी तत्वों की वहां भीड़ जमा है जो शायद मुख्यमंत्री को काम ही नहीं करने देती.
अब इस घटना से अखिलेश यादव कोई सीख लेंगे या नहीं, यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन इतना तय है कि उत्तर प्रदेश आज देश का सबसे 'कुशासित' राज्य है और यहां सख्त कार्रवाई की जरूरत है. विधानसभा चुनाव अभी दूर हैं और शायद मुख्यमंत्री उतना रिएक्ट न करें लेकिन इस घटना के जख्म बहुत ही गहरे हैं जो काफी सालों तक टीस देते रहेंगे.