500 और 1000 के नोटों के बंद करने को लेकर विपक्ष ने कई तरह के सवाल और आशंका व्यक्त की है. जेडीयू नेता शरद यादव का कहना है कि सरकार काले धन को रोकने की जो बात कर रही है. वह कितना प्रभावी होगा ,यह कहना मुश्किल है, लेकिन देश के अंदर काले धन पर तो फायदा होगा, मगर उस काले धन का क्या हुआ. जो देश के बाहर लोगों ने जमा किया हुआ है. सरकार ने बड़े बड़े दावे किए थे कि देश के बाहर जो काला धन है, उसको लाया जाएगा और जनता को 15 लाख रुपए भी उनके खातों में जमा करवाने की बात कही गई थी. सरकार ने यहां कि करंसी तो बदल दी, क्या वहां की करेंसी बदलवा पाएंगे.
शरद यादव ने कहा कि यहां कि करेंसी बदलने से आम जनता किसान छोटे व्यापारियों को परेशानी होगी, उनके बारे में सरकार ने कुछ नहीं सोचा. आजकल लोगों के पास 10 और सौ रुपये के नोट नहीं होते, तो इस सब से होने वाली परेशानी का क्या होगा.
राजनीतिक दिखावा है फैसला
उधर CPI(M) ने आशंका व्यक्त की है कि सरकार ने जो काले धन को रोकने के लिए जो 500 और 1000 के नोट बंद किया है, इसका सीमित असर होगा. यह केवल राजनीतिक दिखावा मात्र है, सरकार की ओर से जो दावा किया जा रहा है
कि 500 और 1000 के नोट बंद करने से कालाधन नकली नोट भ्रष्टाचार और आतंकवाद पर लगाम लगेगी, इसमें कोई दम नहीं है.
असफलताओं को कवर अप करने का रास्ता
CPM का कहना है कि पीएम ने यह खुद ही माना है कि सबसे ज्यादा काला धन देश के बाहर होता है, जबकि नकली नोट किसी भी राशि के हो सकते हैं, जो 500 और 2000 के नए नोट की घोषणा सरकार ने की है इससे से भविष्य में क्या
सरकार नकली नोटों पर लगाम लगा पाएगी. एक माना हुआ सच है कि जो आतंकवाद का पैसा है वह इलेक्ट्रॉनिक ढंग से ट्रांसफर होता है ,न कि कैश ट्रांजैक्शन. सीपीएम ने कहा कि यह केवल मोदी सरकार की आर्थिक फ्रंट पर असफलताओं को
कवर अप करने का रास्ता है.
इधर केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रुडी ने इन तमाम दावों और आशंकाओं को झुठलाते हुए साफ किया है कि प्रधानमंत्री के इस फैसले से भ्रष्टाचार नकली करंसी काला धन पर रोक लगेगी, यह एक ऐतिहासिक कदम है सबको इस बात को स्वीकार करना चाहिए.