संसद के मानसून सत्र का पहला दिन मंगलवार को हंगामे के नाम रहा. ललित मोदी मामले में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पर विपक्ष ने सियासी संग्राम छेड़ दिया है. कांग्रेस मंत्री के इस्तीफे की मांग पर अड़ी रही, जबकि सत्ता पक्ष ने कहा कि सुषमा सदन में बयान देने के लिए तैयार हैं. अब बुधवार सुबह इस्तीफे की मांग को लेकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी धरना देने वाले हैं.
सत्र के पहले दिन राज्यसभा की कार्यवाही भी हंगामे की भेंट चढ गई. विपक्ष ने ललित मोदी की मदद के मामले में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का इस्तीफा मांगा, वहीं व्यापम घोटाला मामले में मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया. हालांकि, सरकार ने उनके आगे झुकने से इनकार कर दिया.
गौरतलब है कि आईपीएल के पूर्व चेयरमैन ललित मोदी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज है. ईडी मामले की जांच कर रही है, वहीं व्यापम के बैनर तले घोटाला होने के साथ ही अब तक 45 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. सदन में इस्तीफे की मांग पर कांग्रेस को सीपीएम और एसपी का समर्थन मिला. सरकार द्वारा इस मांग को खारिज किए जाने से बने गतिरोध के कारण सदन को चार बार स्थगित करना पड़ा, वहीं बाद में कार्यवाही समय से पूर्व पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई.
'कहां गई ईमानदारी की बात'
कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने सरकार पर हमला बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री में लोकसभा चुनाव के दौरान ईमानदारी, जवाबदेही, पारदर्शिता और भ्रष्टाचार के खिलाफ गंभीरता की बात की थी. जबकि सरकार ने इस्तीफे की मांग को अस्वीकार करते हुए कहा कि वह सुषमा, वसुंधरा से जुड़े विवाद को लेकर सदन में किसी भी रूप में और किसी भी समय चर्चा के लिए तैयार है.
सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने इस पेशकश को ठुकराते हुए कहा, 'चर्चा कभी भी जांच का विकल्प नहीं हो सकती. हम जांच चाहते हैं.' उन्होंने आरोपों की उच्चस्तरीय जांच कराए जाने की मांग करते हुए कहा कि जांच पूरी होने तक इन्हें अपना पद छोड़ देना चाहिए.
दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बाद में सुषमा, वसुंधरा और चौहान के इस्तीफे की विपक्ष की मांग की कड़ी आलोचना करते हुए कहा, 'अगर राज्य के विषयों पर संसद में चर्चा की अनुमति दी गई तो राबर्ट वाड्रा के भूमि सौदों और सीबीआई जांच का सामना कर रहे हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के मामलों की भी चर्चा हो सकती है.'
बयान की पेशकश को ठुकराया
विपक्ष ने सुषमा की ओर से सदन में बयान देने की सरकार की पेशकश को ठुकरा दिया है. विपक्ष ने कहा कि जब तक वह प्रवर्तन निदेशालय की जांच का सामना कर रहे आईपीएल के पूर्व चेयरमैन की मदद किए जाने को लेकर इस्तीफा नहीं देतीं, वह सदन में चर्चा को राजी नहीं होगा.
विपक्ष के इस रूख के चलते सदन के कई बार स्थगित होने पर उच्च सदन के नेता और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, 'हमें स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि विपक्ष कुछ समय तक व्यवधान पैदा करना चाहता है. वह चर्चा नहीं कराना चाहता. सरकार ने सार्वजनिक तौर पर और सदन में घोषित कर दिया है कि हम किसी भी प्रारूप में और किसी भी समय चर्चा कराने को तैयार हैं.
सुषमा बयान के लिए तैयार
उन्होंने कहा, 'हमने यह पेशकश की कि सुषमा स्वराज चर्चा का जवाब दे सकती हैं. अगर जरूरी हुआ तो अन्य केंद्रीय मंत्री भी जवाब दे सकते हैं. अगर विपक्ष चाहे तो सुषमा के बयान के बाद चर्चा की शुरुआत कर सकते हैं और चर्चा उनके बयान के इर्द गिर्द हो सकती है.'
रविशंकर प्रसाद ने इस संभावना से इनकार किया कि प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर सदन में बयान देंगे. प्रसाद ने कहा कि उन्होंने यूपीए सरकार के समय के ए राजा और पवन बंसल जैसे मंत्रियों के इस्तीफों की मांग इसलिए की थी क्योंकि उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी थी.