राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार चयन में हुई देरी से सीख लेते हुए विपक्षी दलों ने उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार चुन लिया है. 18 दलों की मौजूदगी में आज संसद में हुई बैठक में इस पद के लिए विपक्ष ने महात्मा गांधी के पौत्र गोपाल कृष्ण गांधी के नाम की घोषणा की है.
उम्मीदवार के चयन के लिए ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में मंगलवार को 18 विपक्षी दलों के साथ संसद भवन में बैठक हुई थी. बैठक में देश के तमाम बड़े नेता मौजूद थे. इस महत्वपूर्ण बैठक में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, मल्लिकार्जुन खड़गे, गुलाम नबी आजाद, अहमद पटेल, ए के एंटनी, डेरेक ओ ब्रायन (टीएमसी), जयप्रकाश नारायण यादव (आरजेडी), नरेश अग्रवाल (एसपी), प्रफुल्ल पटेल (एनसीपी), तारिक अनवर (एनसीपी), एलांगवन (डीएमके), शरद यादव, उमर अब्दुल्ला, हेमंत सोरेन और अजित सिंह जैसे नाम शामिल थे. माना जा रहा है कि विपक्षी पार्टियां, और खासतौर पर कांग्रेस राष्ट्रपति चुनाव के दौरान हुई गलतियों को दोहराना नहीं चाहती थी. जिसकी वजह से विपक्ष की एकता में फूट पड़ गई और जेडीयू ने NDA के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के समर्थन की घोषणा कर दी.
राष्ट्रपति पद के लिए मीरा कुमार का नाम घोषित करने के बाद कांग्रेस ने यह बात मानी थी कि असमंजस और फैसला लेने में देरी विपक्षी खेमे के लिए ठीक नहीं रही. उसके बाद कांग्रेस और जेडीयू के बीच में जो किचकिच हुई उससे स्थिति और बिगड़ गई.
इस बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने की और जेडीयू समेत सभी पार्टियों ने गोपालकृष्ण गांधी के नाम पर सहमति जताई. दरअसल इस बैठक से पहले ही विपक्ष के कई पार्टियों से गोपाल कृष्ण गांधी को लेकर बात की गई थी और बैठक में किसी और नाम पर चर्चा तक नहीं हुई. गोपाल कृष्ण गांधी के नाम का प्रस्ताव तृणमूल कांग्रेस की तरफ से किया गया और लेफ्ट पार्टियों ने भी इसका पुरजोर समर्थन किया. दरअसल इससे पहले गोपाल कृष्ण गांधी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने की मांग लेफ्ट पार्टियों की तरफ से की गई थी. लेकिन इसके लिए कांग्रेस की तरफ से मीरा कुमार का नाम आने के बाद लेफ्ट पार्टियां चाहती थीं गोपाल कृष्ण गांधी को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाए. राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर जेडीयू के एनडीए के खेमे में चले जाने के बाद कांग्रेस यह बिल्कुल नहीं चाहती थी कि इस बार भी उम्मीदवार के नाम की वजह से विपक्षी एकता में कोई फूट पड़े. इसलिए गोपाल कृष्ण गांधी के नाम पर सहमति बनाने में उसने कोई देरी नहीं की. बैठक में नाम तय होने के बाद गोपालकृष्ण गांधी को वहीं से फोन पर इसकी सूचना दी गई और उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार करने के साथ ही विपक्षी पार्टियों का धन्यवाद दिया .
गोपालकृष्ण गांधी 17 जुलाई को अपना नामांकन दाखिल कर सकते हैं जिस दिन से संसद का सत्र भी शुरू हो रहा है. नामांकन दाखिल करने की आखिरी तिथि 18 जुलाई है.
संख्या बल के हिसाब से देखा जाए तो गोपाल कृष्ण गांधी का चुनाव जीतना लगभग असंभव है. NDA ने उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार अभी तक घोषित नहीं किया है, लेकिन 790 में से करीब 550 वोट सत्ताधारी गठबंधन के पास हैं. विपक्ष के लिए उप राष्ट्रपति का चुनाव भी हार जीत का नहीं बल्कि बीजेपी के खिलाफ सांकेतिक लड़ाई का और विपक्ष को एकजुट रखने का सवाल ज्यादा है.
नहीं आए नीतीश कुमार
बैठक में शामिल होने ना तो नीतीश कुमार आए और ना ही लालू यादव. आरजेडी की तरफ से जे पी यादव बैठक में शरीक हुए तो जेडीयू की तरफ से शरद यादव. उपराष्ट्रपति के तौर पर विपक्ष के उम्मीदवार की जीतने की कोई संभावना नहीं है. उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए सत्तारूढ़ दल के पास कुल 790 वोट में से करीब साढ़े पांच सौ वोट हैं. उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं और उपराष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसद हिस्सा लेते हैं.
विपक्षी पार्टियां चाहती हैं कि कांग्रेस मीरा कुमार को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने के बाद कम से कम उपराष्ट्रपति पद के लिए किसी गैर कांग्रेसी व्यक्ति को उम्मीदवार घोषित करे जो सबको मंजूर हो.
एकजुटता दिखाने की कोशिश
उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की रेस में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश का नाम भी चर्चा में था. कांग्रेस को चिंता इस बात की है कि विपक्ष का उम्मीदवार हारे या जीते यह संदेश नहीं जाना चाहिए कि विपक्षी एकता में फूट पड़ चुकी है. खास बात यह है कि राष्ट्रपति पद के लिए NDA के उम्मीदवार को समर्थन की घोषणा करने से पहले जेडीयू ने विपक्ष की उस बैठक में हिस्सा लिया था जिस में विपक्ष उम्मीदवार को लेकर चर्चा हुई थी. लेकिन माना जा रहा है कि इस बार नीतीश कुमार विपक्षी खेमे में ही रहेंगे. हालांकि इस बारे में अंतिम फैसला नीतीश कुमार को ही करना है और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भी इस बारे में अभी नहीं बताया गया है.
लगातार दो बार उपराष्ट्रपति चुने जाने वाले हामिद अंसारी का कार्यकाल 10 अगस्त को खत्म हो रहा है. अगर जरूरत पड़ी तो उपराष्ट्रपति का चुनाव 5 अगस्त को होगा और नतीजों का ऐलान भी उसी दिन कर दिया जाएगा. उपराष्ट्रपति का चुनाव गुप्त मतदान से होता है और उसके लिए पार्टियां व्हिप जारी नहीं कर सकती. अभी तक सर्वपल्ली राधाकृष्णन, मोहम्मद हिदायतुल्ला और शंकर दयाल शर्मा ही ऐसे तीन उपराष्ट्रपति हैं जिन्हें निर्विरोध चुन लिया गया था.