बीजेपी के मुसलमानों के साथ प्रोग्रेस पंचायत करने को विपक्षी पार्टियां राजनीतिक पैंतरा बता रही हैं वहीं बीजेपी इसे सबका साथ सबका विकास का विस्तार कह रही है. जेडीयू के नेता केसी त्यागी ने कहा कि इन पंचायतों से बात नहीं बनने वाली. वाकई बीजेपी मुसलमानों के लिए कुछ करने को लेकर गंभीर है तो पहले समान नागरिक संहिता का राग, गाय की पूंछ, मुज़फ्फरनगर-कैराना, घर वापसी जैसे विवादास्पद मुद्दे छोड़े.
त्यागी ने ये भी तंज़ कसा कि ऐसी पंचायतें हम करें तो तुष्टिकरण और बीजेपी करे तो राष्ट्रवाद. वहीं सीपीआई(एम) महासचिव सीताराम येचुरी का कहना है कि आज तक प्रधानमंत्री मोदी ने न जाने कितने मुसलमानों पर हमले हुए और हिंसा में लिप्त आरोपियों और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने का भरोसा तक नहीं दिया गया. पीएम के मुंह से ये नहीं निकला कि दोषी कोई भी हो उसे सजा दिलवा कर रहेंगे. उनकी पार्टी और इसके मुखिया, सरकार के नेता से उन पंचायतों के प्रोग्रेस का क्या भरोसा? राजनीतिक पैंतरा है.
इसी दौरान बीजेपी सांसद और प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने कहा कि मन की बात सुनने का वक्त आया है. पहले विपक्ष को शिकायत थी कि प्रधानमंत्री अपने मन की बात सिर्फ सुनाते हैं सुनते नहीं. अब सुनने का वक्त आया है तब भी विपक्षियों को रास नहीं आ रहा. ये तो सबका साथ सबका विकास के नारे का व्यवहारिक विकास है. अब नाराज़गी क्यों. पूरे देश भर में अलग अलग जगह ये पंचायतें होंगी. बीजेपी की मंशा है कि इन पंचायतों के जरिये मुस्लिम समुदाय अपनी समस्याएं बतायेगा और उनका समाधान होगा. उनकी राय और उम्मीदों के मुताबिक विकास के काम भी होंगे.