तारीखों के ऐलान के बाद राजनीतिक गलियारों में सरगर्मी बढ़ गई है. पांच राज्यों में होने वालों चुनावों में 4 फरवरी से वोटिंग प्रक्रिया शुरू होगी, वहीं केंद्रीय बजट एक फरवरी को संसद में पेश किया जाएगा. विपक्षी पार्टियां बजट की तारीख आगे बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग का रुख कर सकती हैं. विपक्षी नेताओं का कहना है कि बजट में योजनाओं का ऐलान चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकते है.
समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि हम इस मसले को लेकर चुनाव आयोग पत्र लिखने की तैयारी में हैं जिस प्रकार हमनें 2012 में किया था, बजट सेशन आने वाले चुनावों को प्रभावित कर सकता है. नरेश अग्रवाल बोले कि जब आचार संहिता लागू हो चुकी है तो बजट कैसे पेश हो सकता है? कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि चुनावों से पहले बजट अगर पेश होता है तो वह वोटरों को प्रभावित कर सकता है, इसलिए बजट को चुनाव तक टाल देना चाहिए.
हालांकि शीतकालीन सत्र के दौरान भी 16 विपक्षी पार्टियों ने इस बाबत राष्ट्रपति और चुनाव आयोग को पत्र लिखा था और अब एक बार फिर यह मुद्दा गर्मा रहा है. 2012 में विधानसभा चुनावों के दौरान भी यही स्थिति बनी थी, बजट सत्र के आधे सेशन को टाल दिया गया था.