सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के करोड़ों रुपये के भविष्य निधि घोटाले की जांच का काम केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया. कोर्ट ने सीबीआई को इसके लिए तीन माह का समय दिया है. न्यायमूर्ति अरिजीत पसायत की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि अदालत को इस मामले की जांच सीबीआई से कराने में कोई दिक्कत नहीं है. गौरतलब है कि इस घोटाले में 33 जजों के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट के भी एक जज का नाम सामने आया था.
खंडपीठ ने कहा कि मामले में अंतिम आरोप पत्र दाखिल होने के बाद कानून के अनुसार ही कार्रवाई की जाएगी. इस घोटाले में वर्ष 2002 से 2007 के बीच चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों के भविष्य निधि खाते से 23 करोड़ रुपये निकाले गए थे. घोटाले में सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश के अलावा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आठ, नैनीताल और कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक-एक तथा निचली अदालत के 23 न्यायाधीश शामिल हैं.