सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को फैसला सुरक्षित रखा. इसका मतलब है कि उनकी गिरफ्तारी पर रोक बरकरार है. गुलबर्ग सोसाइटी ट्रस्ट में हेराफेरी की आरोपी तीस्ता की अग्रिम जमानत हाई कोर्ट में रद्द हो चुकी थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बीते शुक्रवार को उनकी और उनके पति जावेद आनंद की गिरफ्तारी पर लगाई गई रोक की अवधि बढ़ा दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता की गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए गुजरात पुलिस से पूछा कि उनकी गिरफ्तारी की क्या जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस को जिन कागजात और डोनर्स के नाम की जरूरत है, कोर्ट तीस्ता और उनके पति को सारे वो सब पुलिस को देने के लिए कहेगा.
जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार करने पहुंची गुजरात पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा था. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस.जे.मुखोपाध्याय की पीठ ने गिरफ्तारी पर लगी रोक की अवधि बढ़ाते हुए सीतलवाड़ और आनंद की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई की तारीख 19 फरवरी तय कर दी थी.
पीठ ने सीतलवाड और गुजरात सरकार से कहा कि वे जो भी अतिरिक्त दस्तावेज कोर्ट के सामने पेश करना चाहते हैं, पेश कर सकते हैं. सीतलवाड़ और उनके पति 2002 में गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगे के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए लड़ रहे हैं. इस जोड़े पर अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसाइटी में एक संग्रहालय की स्थापना के लिए उनके गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) सबरंग ट्रस्ट द्वारा इकट्ठा किए गए 1.5 करोड़ रुपये के गबन का आरोप है. गुलबर्ग सोसाइटी में सांप्रदायिक दंगे में 69 लोगों की मौत हो गई थी.
सीतलवाड़ के खिलाफ यह शिकायत सोसाइटी में रहने वाले 12 लोगों ने की थी. उन्होंने अलग वजहों को बताते हुए संग्रहालय की स्थापना का मुद्दा ठंडे बस्ते में डाल दिए जाने पर सीतलवाड़ के खिलाफ शिकायत की थी. हालांकि, सीतलवाड़ की जमानत याचिका मार्च 2014 में लोअर कोर्ट ने खारिज कर दी थी. सीतलवाड ने खुद पर लगे आरोप को राजनीतिक रूप से प्रेरित करार दिया था.
इधर, गुजरात हाई कोर्ट ने गुरुवार को सीतलवाड़, आनंद, कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी के बेटे तनवीर जाफरी और गुलबर्ग सोसाइटी के निवासी फिरोज गुलजार की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी.