उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को आज राजधानी के चर्चित उपहार सिनेमा अग्निकांड के पीड़ितों और उनके परिजनों को 5.14 करोड़ रुपये की अंतरिम राहत देने का आदेश दिया. गौरतलब है कि जून 1997 में हुए इस हादसे में 59 लोगों की मौत हो गई थी, वहीं 103 लोग घायल हो गए थे.
उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में केन्द्रीय गृह मंत्रालय के शपथपत्र पर ध्यान देते हुए यह निर्देश दिया. शपथपत्र में उसके अंतरिम योगदान के तौर पर अनुग्रह राशि के मद में 2.14 करोड़ रुपये देने की बात कही गयी है. इसके साथ ही सिनेमा हॉल के मालिक अंसल परिवार भी तीन करोड़ रुपये का तत्काल हिस्सा देने पर सहमत हुआ है. उल्लेखनीय है कि अंतरिम राहत अंतिम मुआवजा राशि के संबंध में बिना किसी पूर्वाग्रह के होगी.
उच्चतम न्यायालय ने मुआवजे की राशि की मात्रा और इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सरकार को दिए जाने वाले सुझाव पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. न्यायमूर्ति आर वी रविंद्रन और न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन ने हालांकि अंसल बंधुओं की ओर से एम्स के ट्रॉमा सेंटर के लिए एक करोड़ रुपये की राशि की पेशकश को खारिज कर दिया.
पीठ ने अंसल बंधुओं की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता ए के गांगुली से कहा, ‘‘पीड़ितों के लिए तीन करोड़ रुपये की राशि की जो पेशकश आपकी ओर से हुई है, हम उससे सहमत हैं, लेकिन ट्रॉमा सेंटर के लिए जो आपने एक करोड़ रुपये की राशि की पेशकश की है, हम उससे सहमत नहीं हैं, क्योंकि यह लगता है कि आप इसके जरिये अदालत की सहानुभूति बटोरना चाहते हैं.’’ गौरतलब है कि अंसल बंधुओं की ओर से अंतरिम राहत के तौर पर दिए जाने वाले चार करोड़ रुपये को एसोसिएशन ऑफ विक्टिम्स ऑफ उपहार ट्रैजडी (एवीयूटी) ने खारिज करते हुए कहा, ‘‘हमें दया नहीं चाहिए. उन्हें गवाहों को धमकाने और अदालती साक्ष्यों को नुकसान पहुंचाने से रोकना चाहिए.’’