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OROP: पूर्व सैनिकों ने नकारा सरकार का एक सदस्यीय आयोग, कहा- यह टालने की चाल

पूर्व सैनिकों की वन रैंक वन पेंशन के लिए जारी मांग अब और उलझ गई है. सरकार ने एक सदस्यीय आयोग बनाने का रास्ता निकाला तो पूर्व सैनिकों ने उसे भी नामंजूर कर दिया. दोनों पक्षों के बीच फिलहाल कोई सहमति बनती नहीं दिख रही.

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OROP के लिए प्रदर्शन कर रहे पूर्व सैनिक
OROP के लिए प्रदर्शन कर रहे पूर्व सैनिक

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वन रैंक वन पेंशन (OROP) की मांग को लेकर सरकार और पूर्व सैनिकों के बीच अब और ठन गई है. रविवार को खबर आई कि सरकार ओआरओपी की खामियों को दूर करने के लिए एक आयोग बनाने जा रही है. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर दिसंबर में इसका ऐलान कर सकते हैं. लेकिन अगले ही पल पूर्व सैनिकों ने इस एक सदस्यीय आयोग के विचार को खारिज कर दिया. कहा कि यह टालने की चाल है. पूर्व सैनिकों ने कहा है कि तीनों सेनाओं के प्रमुखों की सदस्यता वाली कमेटी बनाने के बजाय सरकार एक सदस्यीय आयोग बनाने की बात कर रही है. वह भी रक्षा मंत्री के नॉमिनेशन से बना सदस्य.

केंद्र सरकार ने 5 सितंबर को OROP योजना का ऐलान किया था. इसके बाद भी भूतपूर्व सैनिकों ने अपना आंदोलन जारी रखा है. भूतपूर्व सैनिकों का कहना है कि सरकार ने जो घोषणा की है, वह OROP नहीं, बल्कि 'वन रैंक, फाइव पेंशन' है.

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क्या चाहते हैं पूर्व सैनिक
 - सरकार ने इसी महीने 24 लाख से अधिक पूर्व सैनिकों और छह लाख शहीदों की पत्नियों के लिए ओआरओपी योजना औपचारिक रूप से अधिसूचित की थी. लेकिन पूर्व सैनिक इससे सहमत नहीं हैं.
- पूर्व सैनिकों को यह भी नामंजूर है कि जूनियर की पेंशन सीनियर से ज्यादा हो. इसके लिए उन्होंने हर दो साल में पेंशन की समीक्षा करने का रास्ता सुझाया है. सरकार चाहती है कि समीक्षा हर 5 साल में हो.
- सरकार ने वीआरएस लेने वालों को ओआरओपी के दायरे से बाहर रखा है. पूर्व फौजियों को यह नामंजूर है. उनका कहना है कि फौज में वीआरएस नहीं, प्रीमैच्योर रिटायरमेंट होता है. साथ ही उन्होंने वेतन आयोग लागू करने की मांग भी रखी है.

पर्रिकर कह चुके- सभी मांगे पूरी करना संभव नहीं
इससे पहले रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कह चुके हैं लोकतंत्र में सभी को मांग उठाने का अधिकार है लेकिन सारी मांगों को पूरा नहीं किया जा सकता. इसी महीने की शुरुआत में उन्होंने कहा था कि पूर्व सैनिकों की अधिकतर मांगों को पूरा कर लिया गया है. फिर भी यदि पूर्व सैनिकों को लगता है कि कहीं कोई खामी रह गई है तो वे सरकार के सामने अपनी बात रखें. बातचीत करें, लेकिन मेडल न लौटाएं. सैनिकों ने इस महीने देशभर में मेडल वापसी अभियान चलाकर सरकार पर दबाव बनाया था.

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कुछ पूर्व सैनिकों ने जलाए मेडल
इस बीच, वन रैंक वन पेंशन के लिए प्रदर्शन कर रहे पूर्व सैनिकों के एक समूह ने बीते हफ्ते अपने मेडल ही जलाने शुरू कर दिए थे. हालांकि इसे लेकर पूर्व सैनिकों में ही दो धड़े हो गए. सैनिकों के एक समूह ने विरोध के इस तरीके को आपत्तिजनक बताया था. उसका कहना था कि ये मेडल राष्ट्र के लिए दिए जाते हैं. इन्हें जलाना राष्ट्र का अपमान करना है. जबकि दूसरे समूह ने इस तरीके को जायज ठहराया है.

OROP की 3 खास बातें
1. सरकार की अध‍िसूचना के मुताबिक, OROP 1 जुलाई, 2014 से ही प्रभावी होगा. पूर्व सैनिकों को एरियर का भुगतान 4 छमाही किस्तों में किया जाएगा. हालांकि सभी विधवाओं को यह राश‍ि एक ही किस्त में मिलेगी.

2. पेंशन की राश‍ि हर 5 साल बाद फिर से तय की जाएगी. यानी हर पांच साल में पेंशन की समीक्षा होगी. साथ ही वैसे स्वैच्छ‍िक सेवानिवृति (VRS) लेने वाले रक्षाकर्मियों को भी OROP योजना का लाभ दिया जाएगा.

3. OROP योजना लागू करने पर सरकारी खजाने पर करीब 8,000 से लेकर 10,000 करोड़ तक का खर्च आएगा. बकाए के भुगतान पर करीब 10,000 से लेकर 12,000 करोड़ रुपये तक खर्च होंगे.

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