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OROP: तीनों सेनाओं के पूर्व प्रमुखों का PM मोदी को खुला खत

वन रैंक, वन पेंशन की मांग और तेज हो गई है. तीनों सेनाओं के पूर्व प्रमुखों ने इसकी मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखा है. इस खत पर जनरल वीएन शर्मा, ज. शंकर रॉय चौधरी, ज. एसपी त्यागी, ज. जेजे सिंह, ज. दीपक कपूर, ज. बिक्रम सिंह, एडमिरल माधवेंद्र सिंह और एयर चीफ मार्शल एनसी सूरी ने दस्तखत किए हैं.

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वन रैंक, वन पेंशन की मांग और तेज हो गई है. तीनों सेनाओं के पूर्व प्रमुखों ने इसकी मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखा है. इस खत पर जनरल वीएन शर्मा, ज. शंकर रॉय चौधरी, ज. एसपी त्यागी, ज. जेजे सिंह, ज. दीपक कपूर, ज. बिक्रम सिंह, एडमिरल माधवेंद्र सिंह और एयर चीफ मार्शल एनसी सूरी ने दस्तखत किए हैं.

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जंतर मंतर पर आमरण अनशन पर बैठे कर्नल
इस बीच, जंतर मंतर पर कर्नल पुष्पेंद्र सिंह और हवलदार मेजर सिंह ने आमरण अनशन शुरू कर दिया. उन्होंने कहा कि या तो सरकार फैसला करे या फिर यह उनका अंतिम फैसला है. दो महीने से धरने पर बैठे सेना के रिटायर्ड कर्मियों ने काले बैंड बांधकर अपना विरोध दर्ज कराया.

मोदी ने आजादी के दिन तोड़ दिए थे दिल
स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फौजियों से कहा था कि OROP सैद्धांतिक तौर पर मंजूर है. इस पर संबंधित पक्षों से बातचीत जारी है. इस पर अभी और काम करना है. इस पर फौजियों ने कहा था कि उनके दिल टूट गए.

खुले खत में रखी ये 7 मांगें
1. 14 अगस्त को जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण धरने पर बैठे सेना के पूर्व कर्मियों पर पुलिस कार्रवाई की तुरंत प्रभाव से जांच शुरू की जाए.
2. हमारे मनोबल और सम्मान को ठेस पहुंची है. ये वही सिपाही हैं जो देश के लिए मर-मिटने का जज्बा रखते हैं. पुलिस पर कार्रवाई हो.
3. हमें पूरी उम्मीद थी कि 15 अगस्त को आप वन रैंक, वन पेंशन का एेलान करेंगे, मगर अफसोस कि ऐसा नहीं हुआ.
4. OROP की एक ही परिभाषा है- सशस्त्र बलों के एक ही रैंक के समान अवधि की सेवा देने वाले रिटायर्ड कर्मियों को एक जैसी पेंशन मिले.
5. फरवरी 2014 में तत्रकालीन क्षा मंत्री ने सभी संबंधित पक्षों से बातचीत करने के बाद 83000 करोड़ रुपए की मंजूरी दे दी थी.
6. इस मामले में तकनीकी दिक्कतों का बहाना बनाया जा रहा है. यह सरकार की स्टैंडर्ड पेंशन टेबल पर आधारित साधारण सा गणित है.
7. सरकार जल्द से जल्द फैसला करे. इसमें देरी की कीमत सैनिकों का मनोबल गिराकर चुकानी होगी और देश इसके लिए तैयार नहीं है.

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