आखिरकार सरकार ने फौजियों की मांगें मान लीं. लेकिन आधी-अधूरी. संघ से आदेश-निर्देश मिलने के अगले ही दिन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने वन रैंक, वन पेंशन (OROP) का एेलान कर दिया. लेकिन फौजी अब भी नहीं नाखुश हैं. उनका कहना है कि सरकार ने उनकी सिर्फ एक बात मानी है. छह बिंदु जस के तस हैं. यानी टकराव जारी है. इस ऐलान और टकराव की 10 बड़ी बातेंः
1. OROP सरकार को मंजूर है, 1 जुलाई 2014 से लागू होगा. बेस ईयर 2013 रहेगा.
2. एरियर 4 छमाही किस्तों में दिया जाएगा. सैनिकों की विधवाओं को एकमुश्त मिलेगा.
3. युद्ध में शहीद हुए पूर्व सैनिकों की विधवाओं को भी मिलेंगे OROP के लाभ.
4. इस योजना को लागू करने के लिए 8 से 10 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा.
5. एक रैंक, एक ही अवधि की सर्विस पर रिटायर होने पर एक जैसी पेंशन. कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे किस साल, किस तारीख को रिटायर हुए हैं.
और यहां शुरू होता है टकराव
They accepted one point and rejected 6 points, we are not fully satisfied: Major General (retd) Satbir Singh pic.twitter.com/uFNZGSeRAo
— ANI (@ANI_news) September 5, 2015
6. सरकारः वीआरएस लेने वाले OROP के दायरे से बाहर रहेंगे. 7. सरकारः इंटर सर्विस मसले सुलझाने के लिए एक सदस्यीय न्यायिक कमेटी बनाई.
टकरावः फौजियों की मांग है कि कमेटी में 5 सदस्य हों. उनमें एक मौजूदा और 3 रिटायर्ड सैनिक हों.
8. सरकारः हर 5 साल में पेंशन की समीक्षा होगी यानी फिक्सेशन होगा.
टकरावः यह प्रस्ताव भी नामंजूर है. फौजियों का कहना कि इससे पेंशन में दोबारा असमानताएं बढ़ जाएंगी.
9. सरकारः फिक्सेशन 2013 में न्यूनतम और अधिकतम पेंशन के औसत के आधार पर होगा.
टकरावः फौजियों का कहना है कि फिक्सेशन अधिकतम औसत के आधार पर किया जाए. ताकि असंतुष्टि न बढ़े.
10. सरकारः कमेटी को रिपोर्ट देने के लिए 6 महीने का समय दिया है.
टकरावः फौजियों की मांग है कि 5 सदस्यों की कमेटी अधिकतम एक महीने के भीतर
अपनी रिपोर्ट सौंपे.