नेशनल कमिशन फॉर बैकवर्ड क्लासेस (NCBC) ने कहा है कि अदर बैकवर्ड क्लासेज (ओबीसी) में अनाथ को भी शामिल किया जाना चाहिए. NCBC ने इससे जुड़ा एक प्रस्ताव भी पास किया है. अगर इसे लागू किया जाता है तो ये पहली बार होगा कि OBC में कोई समूह बिना जाति की पहचान के शामिल होगा.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर के मुताबिक, NCBC का मानना है कि 10 साल से कम उम्र के बच्चे जो माता-पिता को खो चुके हैं, किसी सरकारी या सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में पढ़ते हैं और उनको देखने वाला कोई नहीं है तो उन्हें इनमें शामिल करना चाहिए. एनसीबीसी पैनल ने कहा कि OBC में मौजूद O का एक मतलब Orphan (अनाथ) भी हो.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को रखा गया ध्यान में
ओबीसी के तहत सरकारी स्कूल और नौकरियों में 27 फीसदी आरक्षण दिया जाता है. हाल ही में जस्टिस वी इस्वरैआ की अध्यक्षता में एनसीबीसी की एक मीटिंग हुई थी जिसमें फैसला लिया गया. एनसीबीसी ने अपने फैसले को केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय को भेज दिया है, जिसे इस मामले में आखिरी फैसला लेना है. एनसीबीसी के सदस्य अशोक सैनी ने कहा कि ये फैसला सुप्रीम कोर्ट के उस डिसीजन को ध्यान में रखते हुए लिया गया है जिसमें कहा गया था कि सिर्फ जाति पिछड़े होने का पैमाना नहीं हो सकती.
कई राज्यों ने पहले से अनाथ को किया है शामिल
हालांकि, NCBC ने पहली बार मई 2015 में ही अनाथ को ओबीसी में शामिल करने के बारे में विचार किया था. इसके बाद सभी राज्यों से इस पर राय मांगी गई थी. तेलंगाना और राजस्थान सरकारें पहले से ही अनाथ को ओबीसी में शामिल कर चुकी है. मध्य प्रदेश में पिछड़ा वर्ग आयोग ने अनाथों को शामिल किए जाने की अनुशंसा की थी, लेकिन सरकार ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया.