स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश को संबोधित किया. राष्ट्रपति ने भ्रष्टाचार को देश की बड़ी समस्या करार देते हुए समाज के हर तबके के विकास पर ध्यान दिए जाने की जरूरत बताई है.
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि देशवासियों को न्याय जल्द मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में भी ध्यान दिया जाना बेहद जरूरी है.
भारत के 67वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति ने बुधवार को कहा कि पिछले लगभग सात दशकों से हम अपने भाग्य के नियंता खुद हैं और यही वह क्षण है, जब हमें पूछना चाहिए कि क्या हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं?
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि आज के दिन हमारा ध्यान हमारे स्वतंत्रता संग्राम को सही दिशा देने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और देश की स्वतंत्रता के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों सहित उन महान देशभक्तों की ओर जाता है, जिनके अदम्य संघर्ष ने हमारी मातृभूमि को लगभग 200 वर्षों के औपनिवेशिक शासन से मुक्ति दिलवाई.
राष्ट्रपति ने कहा कि गांधीजी न केवल विदेशी शासन से, बल्कि हमारे समाज को लम्बे समय से जकड़कर रखने वाली सामाजिक बेड़ियों से भी मुक्ति चाहते थे. प्रणब मुखर्जी ने हर भारतीय को खुद पर विश्वास करने की तथा बेहतर भविष्य के लिए उम्मीदों की राह दिखाई. गांधीजी ने स्वराज, सहिष्णुता तथा आत्म-संयम पर आधारित स्व-शासन का वादा किया. उन्होंने अभावों तथा दरिद्रता से मुक्ति का भरोसा दिलाया.
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि यदि हम उन मूल्यों को भुला देंगे, जो गांधीजी के आंदोलन की बुनियाद थे, अर्थात, प्रयासों में सच्चाई, उद्देश्य में ईमानदारी तथा सबके हित के लिए बलिदान, तो उनके सपनों को साकार करना संभव नहीं होगा.