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राजनाथ सिंह ने नहीं दिया था 'हिंदू शासक' वाला बयान, मैगजीन ने जताया खेद

संसद में 'आउटलुक' मैगजीन में छपे राजनाथ सिंह के जिस बयान को लेकर हंगामा हुआ, शाम ढलते-ढलते उस पर पत्रिका ने खेद जता दिया. .

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लोकसभा में मैगजीन के साथ मुहम्मद सलीम
लोकसभा में मैगजीन के साथ मुहम्मद सलीम

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सोमवार को संसद में 'आउटलुक' मैगजीन में छपे राजनाथ सिंह के जिस बयान को लेकर हंगामा हुआ, शाम ढलते-ढलते उस पर पत्रिका ने खेद जता दिया. मैगजीन ने ट्वीट के माध्यम से कहा कि उसने '800 साल बाद हिंदू प्रधानमंत्री' संबंधी बयान देने वाले की पूरी पड़ताल नहीं की थी और उससे भूल हुई है. सदन में सीपीएम नेता मुहम्मद सलीम ने पत्रिका के हवाले से इसे राजनाथ सिंह का बयान बताया था, जिस पर खूब घमासान हुआ.

मैगजीन ने इस ओर बयान जारी कर कहा, 'हमारी मंशा गृह मंत्री या संसद के मान को ठेस पहुंचाना नहीं था. आउटलुक गृह मंत्री राजनाथ सिंह और मुहम्मद सलीम को जो इस कारण जो शर्मिंदगी उठानी पड़ी, उसके लिए खेद प्रकट करता है.'

गौरतलब है कि 16 नवंबर 2015 को आए 'आउटलुक' के अंक में गृह मंत्री राजनाथ सिंह के हवाले से एक बयान छपा है, जिसे लेकर लोकसभा में विवाद हो गया. रिपोर्टर प्रणय शर्मा ने असहनशीलता पर अपनी कवर स्टोरी में लिखा, 'मौजूदा विवाद एक उलझा हुआ मसला है. इस पर 800 साल में बने पहले हिंदू शासक की मुहर है (मोदी की जीत पर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह का बयान)'. जबकि गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को सदन में सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने कभी ऐसा कोई बयान नहीं दिया.

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सीपीएम सांसद ने उठाया मुद्दा
सीपीएम सांसद मुहम्मद सलीम ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह पर बेहद आपत्तिजनक बयान देने का आरोप लगाते हुए यह मुद्दा उठाया था. सलीम ने कथित तौर पर राजनाथ का यह बयान सदन में दोहराया. यह पीएम को हिंदू बताने को लेकर था. इसके बाद सदन में खूब हंगामा हुआ. गृह मंत्री ने सांसद से पूछा कि उन्होंने कब और कहां ऐसा कहा? इस पर सलीम ने 16 नवंबर 2015 की 'आउटलुक' मैगजीन की कॉपी दिखाई, जिसमें यह बयान छपा था.

बाद में सलीम के इस बयान को संसदीय कार्यवाही के रिकॉर्ड से हटा दिया गया. हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को एक बार स्थगित भी करना पड़ा. गृह मंत्री ने सलीम से इस बयान के लिए माफी मांगने को भी कहा, जिससे उन्होंने इनकार कर दिया.

...तो फिर खंडन क्यों नहीं
दूसरी ओर, विपक्ष इस बात पर आमदा है कि जब राजनाथ सिंह ने बयान ही नहीं दिया, तो फिर इस ओर उन्होंने पहले खंडन क्यों नहीं किया. विपक्षी दलों की दलील है कि इस मामले में गृह मंत्री ने जो स्पष्टीकरण दिया है वह उन्हें 16 नवंबर को मैगजीन के बाजार में आने के तुरंत बाद देना चाहिए था. गृहमंत्री पिछले दो हफ्ते से इस मामले पर चुप क्यों रहे.

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सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, 'अब एक नया सवाल आ गया है. इतने दिन से उस प्रकाशन में यह बयान छपा हुआ है, लेकिन गृहमंत्री ने उसका न खंडन किया, न विरोध किया और न उनके सामने इस मामले को उठाया. यह क्यों हुआ?'

...और पहले गौरव कह रहे थे
लोकसभा में सीपीएम सांसद मोहम्मद सलीम ने मामले में चुटकी लेते हुए कहा, 'कम से कम इतना तो हुआ कि उनको यह लांछन लगा. पहले वे इसी को गौरव कह रहे थे. जाहिर है अगर राजनाथ सिंह ने मैगजीन के पिछले अंक में बयान छपने के फौरन बाद सफाई दी होती तो आज इस विवाद पर उन्हें सफाई देने की जरूरत ही नहीं पड़ती.'

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