सत्ता और विपक्ष के बीच संसद का गतिरोध अब सड़क पर है. आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, वहीं बयान और उस पर प्रतिक्रिया के बावजूद कांग्रेस-बीजेपी का वाकयुद्ध थमा नहीं है. ललित मोदी मामले में सुषमा स्वराज ने बुधवार को अपने जवाब में कांग्रेस शासनकाल पर आरोप लगाए, वहीं गुरुवार को कांग्रेस ने इस ओर जवाब देते हुए विदेश मंत्री पर जोरदार हमला किया.
बोफोर्स मामले में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर लगाए आरोपों का जवाब देते हुए कांग्रेस ने कहा कि क्वात्रोकी को लेकर आरोप लगाने से पहले सुषमा को थोड़ा तत्कालीन कानून मंत्री अरुण जेटली से भी पूछ लेना चाहिए था. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस ललित मोदी मामले में सरकार का पीछा छोड़ने वाली नहीं है.
पूर्व वित्त मंत्री ने कांग्रेस की तरफ से पलटवार करते हुए संसद में सुषमा की टिप्पणी पर कड़ा ऐतराज जताया. उन्होंने कहा, 'अगर वह बोफोर्स मामले में राजीव पर आरोप लगाने से पहले अपने साथी मंत्री अरुण जेटली से पूछ लेतीं तो उन्हें पूरी सच्चाई पता चल जाती क्योंकि तब वाजपेयी सरकार में जेटली कानून मंत्री थे.'
तब जेटली ने कहा था- नहीं हैं सबूत
चिदंबरम ने कहा कि बोफोर्स मामले में राजीव गांधी को 4 फरवरी 2004 को कोर्ट ने क्लीन चिट दे दी थी. सीबीआई को जांच में राजीव के खिलाफ कुछ भी नहीं मिला था. तब तीन महीने बाद तक एनडीए की सरकार सत्ता में थी. चिदंबरम ने सवाल किया कि आखिर एनडीए सरकार ने तब सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला क्यों नहीं किया. उन्होंने कहा कि तब जेटली ने ही सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया था कि राजीव के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं.
चिदंबरम ने ललितगेट मामले में कांग्रेस के सवाल दोहराते हुए कहा कि सुषमा स्वराज और अरुण जेटली ने लोकसभा में कई महत्वपूर्ण सवालों का जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा, 'लोकसभा में सुषमा स्वराज और अरुण जेटली ने अपना सबकुछ झोंक दिया, लेकिन उन्होंने ललितगेट पर सवालों के जवाब नहीं दिए.' चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर पीछे नहीं हटेगी और लगातार सरकार से सवाल पूछती रहेगी.