पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में माओवादियों द्वारा रोकी गई भुवनेश्वर-दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस को छुड़ा लिया गया है. केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने बताया कि ट्रेन के सभी यात्री सुरक्षित हैं.
सभी 1200 यात्री सुरक्षित
माओवादी समर्थित समूह के हथियारबंद लोगों ने मंगलवार को भुवनेश्वर-दिल्ली राजधानी ट्रेन को रोक दिया और पश्चिमी मिदनापुर जिले के जंगल इलाके में अपहरण वाली स्थिति में प्रतिष्ठित ट्रेन को कई घंटों तक रोके रखा लेकिन सभी 1200 यात्री सुरक्षित हैं. पीपुल्स कमिटी अगेंस्ट पुलिस एट्रोसिटीज (पीसीपीए) के उग्रवादियों द्वारा कई घंटे तक बंधक बनाए रखने के बाद सीआरपीएफ और राज्य पुलिस ने वहां पहुंचकर रेलगाड़ी को सुरक्षित किया. रेलगाड़ी करीब ढाई बजे दोपहर में रोकी गई थी जबकि इसके पांच घंटे बाद इसे छुड़ाया जा सका.
माओवादियों की मांग हुई खारिज
नई दिल्ली में स्थिति की निगरानी कर रहे गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, ‘‘रेलगाड़ी सुरक्षित है और यात्री भी सुरक्षित हैं.’’ उन्होंने कहा कि घटनास्थल पर किसी विपरीत परिस्थिति के संकेत नहीं हैं. रेलगाड़ी सुबह नौ बजे भुवनेश्वर से चली थी. पीसीपीए की मांगों में जेल में बंद अपने नेता छत्रधर महतो की रिहाई भी थी जिसे पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने सिरे से खारिज कर दिया. मांगों को रेलगाड़ी के डिब्बों पर भी लिख दिया गया.
सुरक्षाकर्मियों के पहुंचते ही माओवादी भागे
अधिकारियों ने कहा कि सुरक्षाकर्मियों के घटनास्थल पर पहुंचते ही उग्रवादी भाग खड़े हुए. उन्होंने कहा कि घटनास्थल से कुछ दूर एक जगह पर थोड़ी गोलीबारी भी हुई जिसमें एक असैनिक चालक घायल हो गया. करीब 400 की संख्या में आए उग्रवादियों ने झाड़ग्राम स्टेशन से 10 किलोमीटर दूर बन्सतला में रेल पटरियों पर वृक्षों की टहनियां डालकर रेलगाड़ी को रोक दिया और दोनों चालकों को रेलगाड़ी से उतर जाने का आदेश दिया. प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार दोनों चालकों का अपहरण कर लिया गया था. बनर्जी ने कहा कि चालक सुरक्षित हैं. प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि उग्रवादियों ने यात्रियों को नुकसान नहीं पहुंचाया और पटरियों के नजदीक कई लाल झंडे थे.
रेलगाड़ी के कई शीशे टूटे
कुल्हाड़ी, तलवार, तीर एवं धनुष से लैस उग्रवादियों ने पत्थरों से वातानुकूलित रेलगाड़ी पर हमला कर कई डिब्बों के शीशे को तोड़ डाले और जबर्दस्ती दरवाजे खुलवाए जिससे यात्री भयभीत हो गए. संकट खत्म होने के थोड़ी देर पहले ही भट्टाचार्य ने माओवादियों की महतो और उनके गिरफ्तार नेताओं की रिहाई तथा सुरक्षा बलों को हटाने की मांग को खारिज कर दिया था. मांगें रेलगाड़ी की बोगियों पर भी लिखी हुई थीं. पूरी घटना को अंजाम देने वाले संगठन पीसीपीए ममता बनर्जी के साथ भी वार्ता करना चाहती थी जिन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उग्रवादी पहले रेलगाड़ी को छोड़ें और सुनिश्चित करें कि यात्री सुरक्षित हैं. बनर्जी ने कहा, ‘‘अगर कोई मुझसे बात करना चाहता है तो वह समय ले कर हमसे बात कर सकता है.’’ उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बातकर स्थिति पर चिंता जताई.