विपक्ष के विरोध को दरकिनार करते हुए सरकार ने बुधवार को पूर्व चीफ जस्टिस (सीजेआई) पलानीस्वामी सदाशिवम को केरल का नया राज्यपाल नियुक्त कर दिया. 65 वर्षीय सदाशिवम प्रधान न्यायाधीश रह चुके पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्हें इस पद पर नियुक्त किया गया है जो वरीयता में सीजेआई से नीचे है.
वह पहले गैर राजनीतिक व्यक्ति हैं, जिनकी नियुक्ति एनडीए सरकार ने राज्यपाल पद पर की है. राष्ट्रपति भवन ने एक विज्ञप्ति में कहा कि राष्ट्रपति ने केरल की राज्यपाल पद से शीला दीक्षित का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और सदाशिवम को राज्यपाल नियुक्त किया गया है. उनकी नियुक्ति उनके कार्यभार संभालने की तारीख से प्रभावी होगी. शीला दीक्षित ने पिछले हफ्ते राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया था.
सदाशिवम इसी साल अप्रैल में सीजेआई पद से सेवानिवृत्त हुए थे. कांग्रेस ने सदाशिवम को केरल का राज्यपाल बनाने के कदम की तीखी आलोचना की थी और आश्चर्य जताया था कि क्या सरकार अमित शाह मामले में उनके फैसले से 'खुश' है. कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने इस मामले में कहा था, ‘उन्हें क्यों बनाया गया? यह सवाल पैदा करता है कि क्या उन्होंने कोई कार्य किया है, जिससे वे प्रसन्न हैं. प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) खुश हैं, अमित शाह खुश हैं और इसीलिए उन्हें सम्मानित किया जा रहा है.’
कांग्रेस ने उनके इस पद पर नियुक्त किए जाने की आलोचना करते हुए आश्चर्य व्यक्त किया था कि क्या उनके व्यक्तित्व में, कामकाज में या उनके फैसलों में कुछ बात है जिसने वास्तव में आकषिर्त किया. सदाशिवम सुप्रीम कोर्ट की उस पीठ में थे जिसने फर्जी मुठभेड़ मामले में शाह के खिलाफ दूसरी एफआईआर को रद्द कर दिया था. पीठ ने कहा था कि यह सोहराबुद्दीन शेख हत्या के बड़े मामले से जुड़ा हुआ है और इसे अलग किए जाने की आवश्यकता नहीं है.
केरल और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी सदाशिवम की नियुक्ति के खिलाफ राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंप कर कहा था कि ऐसे व्यक्ति को राज्यपाल नियुक्त किया जाना अनुचित है जो सीजेआई रहे चुके हों. आलोचना से अप्रभावित सदाशिवम ने कहा, 'अपनी सेवानिवृत्ति के बाद अन्य नेताओं की तुलना में मैं अपनी सेवा का उपयोग राज्य के लोगों के लिए बेहतर तरीके से कर सकता हूं.’
उन्होंने कहा कि वह शपथ ग्रहण के बाद ब्यौरे साझा करेंगे. उन्होंने अपनी नियुक्ति के बाद कहा, ‘मैं खास राज्य (केरल) के लोगों के लिए अपने अनुभव का उपयोग करना चाहता हूं.’ एनडीए सरकार ने अब तक 10 राज्यपालों की नियुक्ति की है. इनमें उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (राजस्थान), राम नाइक (उत्तर प्रदेश), केसरीनाथ त्रिपाठी (पश्चिम बंगाल), ओम प्रकाश कोहली (गुजरात), बलराम जी दास टंडन (छत्तीसगढ़), पी बी आचार्य (नागालैंड) और कप्तान सिंह सोलंकी (हरियाणा) शामिल हैं. इसके अलावा वजुभाई वाला (कर्नाटक), सी विद्यासागर राव (महाराष्ट्र) और मृदुला सिन्हा (गोवा) शामिल हैं.
पिछली यूपीए सरकार द्वारा नियुक्त नौ राज्यपालों ने अब तक अपने इस्तीफे दिए हैं. इस कड़ी में सबसे ताजा नाम मणिपुर के राज्यपाल विनोद कुमार दुग्गल का है, जिन्होंने पिछले हफ्ते इस्तीफा दिया था. सरकार द्वारा संकेत दिए जाने के बाद इस्तीफा देने वालों में शीला दीक्षित और दुग्गल के अलावा एम के नारायणन (पश्चिम बंगाल), अश्विनी कुमार (नागालैंड), बी एल जोशी (उत्तर प्रदेश), बी वी वानचू (गोवा) और शेखर दत्त (छत्तीसगढ़) शामिल हैं.