विवाद को जिंदा रखते हुए पूर्व कैग अधिकारी आर पी सिंह ने कहा कि लोक लेखा समिति ने 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन से हुए नुकसानों का आकलन करने के लिए एक तरीका सुझाया था. कैग की अंतिम रिपोर्ट में सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने की बात कही गई थी.
अपने बयान से पीछे हटने की खबरों को खारिज करते हुए सिंह ने कहा कि साल 2010 में 2 जी घोटाले पर उन्होंने अपनी मसौदा रिपोर्ट सौंप दी थी. मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली लोक लेखा समिति ने नुकसान के आंकड़ों में दिलचस्पी दिखाई थी और नुकसान का आकलन करने के तरीकों में से एक को सुझाया था जिसकी वजह से 1.76 लाख करोड़ रुपये के नुकसान की गणना की गई.
उन्होंने कहा कि इस संबंध में साक्ष्य कैग में महानिदेशक (रिपोर्ट सेंट्रल) आर बी सिन्हा द्वारा तैयार नोट में भी था. सिंह ने कहा कि कैग और पीएसी अधिकारियों के बीच संपर्क नवंबर 2010 में संसद में 2 जी घोटाले पर कैग के अपनी रिपोर्ट पेश करने के पहले भी हुए थे.
यह पूछे जाने पर कि क्या वह इस संदर्भ में जोशी का नाम लेंगे तो सिंह ने कहा कि वह ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि उनके पास निजी तौर पर कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है. इससे पहले, सिंह ने कहा था कि उनके आला अधिकारियों ने उन्हें ‘लिखित आदेश’ दिया जिसके बाद उन्होंने 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन पर अंतिम रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किया. इसमें सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान जताया गया.
2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन का ऑडिट करने वाले कैग के दल के प्रमुख सिंह ने कहा कि उन्होंने कभी अपनी मसौदा रिपोर्ट में 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने की बात नहीं कही थी.
सिंह ने कहा, ‘उन्होंने (वरिष्ठ कैग अधिकारियों ने) मुझसे कहा कि यह अंतिम रिपोर्ट है और लिखित आदेश के जरिए मुझे उसपर हस्ताक्षर करने को कहा. इसलिए मैंने निर्देश का पालन किया और रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर दिया.’