एक बार फिर बोफोर्स तोप सौदा सुर्खियों में है. पब्लिक अकाउंट्स कमिटी (पीएसी) के कई सदस्यों ने इस मामले की दोबारा सुनवाई की अपील की है. इसके लिए उन्होंने सीबीआई से अपील की है. उन्होंने अपील की है कि एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाए जाए. बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने साल 2005 में इस मामले की सुनवाई बंद करने आदेश दे दिया था.
पीएससी से जुड़े रक्षा मामले की एक उप-समिति के सदस्यों ने सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा से सवाल किया है. उनसे पूछा गया है कि साल 2005 में जब दिल्ली हाईकोर्ट ने बोफोर्स की सुनवाई बंद कर दी थी, तो जांच एजेंसी सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं पहुंची? उन्होंने कहा कि वे बोफोर्स सौदे के 'सिस्टैमिक फेल्यर' और घूस लेने के आरोपों की फिर जांच की जाए.
गुरुवार को बीजू जनता दल के सांसद भतृहरि माहताब और बीजेपी नेता निशिकांत दुबे सहित उप-समिति के अन्य सदस्यों ने सीबीआई से दिल्ली हाई कोर्ट के 2005 के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने को कहा. इस फैसले में बोफोर्स मामले की कार्यवाही निरस्त कर दी गई थी. बताया जा रहा है कि इस दौरान बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि अगर बाबरी विध्वंस मामले में बीजेपी नेताओं के खिलाफ आरोप फिर से निर्धारित किए जा सकते हैं, तो फिर बोफोर्स मामले में ऐसा क्यों नहीं हो सकता.
बता दें कि रक्षा मामले में पीएसी के छह सदस्यीय उप समिति बोफोर्स मामले में साल 1986 में सीएजी की रिपोर्ट के कुछ पहलुओं की जांच कर रही है. इसके प्रमुख बीजू जनता दल के सांसद भतृहरि माहताब हैं. इसके कई सदस्यों ने कहा है कि सीबीआई को यह मामला फिर से खोलना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट में नई दलील देनी चाहिए. बोफोर्स तोपों की खरीद के लिए दी गई दलाली को लेकर अस्सी के दशक में राजनैतिक भूचाल आया था. इसके चलते साल 1989 में राजीव गांधी की सरकार भी गिर गई थी.
गौरतलब है कि बोफोर्स तोप सौदे के चलते 1980 के दशक में देश की राजनीति में भूचाल सा आ गया था. 1989 में कांग्रेस को इसकी वजह से सत्ता तक गंवानी पड़ी थी. मामले में आरोपी इटली के बिजनसमैन ओत्तावियो क्वात्रोकी की गांधी परिवार से कथित नजदीकी सवालों के घेरे में रही है.