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पद्म पुरस्कार देना बंद होना चाहिए: शरद यादव

पद्म पुरस्कार ‘बेइमान’ लोगों को दिए जाने का आरोप लगाने के बाद सोमवार को एक बार फिर जेडीयू प्रमुख शरद यादव ने इस विवाद को और हवा दे डाली. इस बार उन्होंने पद्म पुरस्कारों के चलन को बंद करने की मांग कर डाली.

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जेडीयू प्रमुख शरद यादव
जेडीयू प्रमुख शरद यादव

पद्म पुरस्कार ‘बेइमान’ लोगों को दिए जाने का आरोप लगाने के बाद सोमवार को एक बार फिर जेडीयू प्रमुख शरद यादव ने इस विवाद को और हवा दे डाली. इस बार उन्होंने पद्म पुरस्कारों के चलन को बंद करने की मांग कर डाली. उनका मानना है कि यह लोगों के बड़े हिस्से के खिलाफ ‘भेदभाव’ करता है.

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उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘इस पर रोक लगनी चाहिए. यह (पद्म पुरस्कार) मुट्ठी भर लोगों के लिए है जो व्यवस्था के करीब रहते हैं.’ उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती ‘जनता परिवार’ शासनों में किसी को भी इस प्रकार के आधिकारिक सम्मान नहीं दिए गए.

यादव ने कहा कि तत्कालीन राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम ने सम्मानों में ‘अनियमितताओं’ के बारे में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को एक नोट भेजा था. उन्होंने कहा कि इस साल ये सम्मान अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक और किसान समुदाय से किसी को भी नहीं दिए गए. जब यह चर्चा की गई कि मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार जो मुस्लिम हैं को इस साल पद्म विभूषण दिया गया है, यादव ने कहा कि दिलीप कुमार और अमिताभ बच्चन जैसे लोग ऐसी पहचान से कहीं आगे हैं.

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समाजवादी नेता ने पिछले हफ्ते मुंबई में एक कार्यक्रम में आरोप लगाया था कि पद्म पुरस्कार सिर्फ ‘बेइमान’ लोगों को और समाज के उच्च वर्ग को दिए जाते हैं.

उन्होंने कहा कि सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के खिलाफ भेदभाव लंबे समय से होता रहा है लेकिन इस बार नरेंद्र मोदी नीत सरकार के पहले साल यह भेदभाव सभी सीमाओं को पार कर गया. यादव ने हालांकि नाम बताने से इंकार कर दिया और यह भी कहा कि उनमें से कुछ पुरस्कार के हकदार हैं, लेकिन लोगों के एक बड़े तबके की अनदेखी की गई है. उन्होंने दावा किया कि मीडिया ने उनकी बात को संदर्भ से अलग हटकर पेश किया और उन्होंने कहा था कि इन पुरस्कारों के चयन की प्रक्रिया ‘बेइमान’ है.

उन्होंने कहा, ‘मैं, फिर भी, इस बहस का स्वागत करता हूं. किसी देश में इतना भेदभाव नहीं होता जितना हम करते हैं. मैंने जो कहा है, वह नया नहीं हैं और लंबे समय से यह हमारा रूख रहा है.’ यादव ने कहा कि 1977 में सत्ता में आई जनता पार्टी की सरकार और बाद में बनी संयुक्त मोर्चा सरकार के दौरान ये सम्मान नहीं दिए गए थे.

उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इस आरोप को लेकर भी उस पर निशाना साधा कि जनता परिवार मोदी सरकार के खिलाफ अस्पृश्यता को बढ़ावा दे रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी के सत्ता में आने के बाद मुस्लिमों और ईसाइयों के खिलाफ भेदभाव बढ़े हैं.

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दलितों के मसीहा बी आर अंबेडकर की जयंती पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर उनकी विरासत पर दावा करने का प्रयास करने के लिए कांग्रेस तथा बीजेपी दोनों पर निशाना साधते हुए यादव ने कहा कि दोनों ‘पाखंडी’ पार्टियों ने अनुसूचित जातियों के लिए कुछ नहीं किया. उन्होंने कहा, ‘अंबेडकर एक विचार हैं सिर्फ प्रतिमा नहीं, जिन पर वे उनकी जयंती पर माल्यार्पण करते हैं.’

इनपुटः भाषा

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