इस साल जिन लोगों को पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया है, उनमें से एक यौन उत्पीड़न के आरोपी प्रोफेसर सुशांत दत्तगुप्ता भी शामिल है. प्रोफेसर सुशांत दत्तगुप्ता इस समय पश्चिम बंगाल की विश्व भारती यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर हैं.
दत्तगुप्ता को एसएन बोस नेशनल सेंटर के बेसिक साइंस के डायरेक्टर पद से वर्ष, 2005 में एक रिसर्चर के यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने के बाद हटा दिया गया था. इसके बाद भी उन्हें पद्मश्री देने के लिए सरकार ने इस आरोप की अनदेखी की.
इन आरोपों की जांच विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल के आदेश पर बनी एक स्पेशल कमेटी ने की थी. इसके बाद सुशांत को वर्ष, 2005 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव ने पत्र भेजकर डायरेक्टर पद से हटा दिया था. लेकिन इसके बाद भी 2011 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने सुशांत को विश्व भारती यूनिवर्सिटी का वीसी लगा दिया.
हालांकि दत्तगुप्ता इनकार करते हैं कि उन्हें एसएन बोस सेंटर से हटाया गया था. उन्होंने कहा कि मैंने वहां का अपना कार्यकाल पूरा किया था. मैं वहां फरवरी 1999 से लेकर 2004 तक रहा हूं. बहरहाल केंद्र सरकार पुरस्कारों को लेकर विपक्षी पार्टियों के निशाने पर आ गई है.
पद्म पुरस्कारों को लेकर विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं. सीपीआई-एम नेता मोहम्मद शकील का कहना है कि सरकार को ऐसे पुरस्कार देने में थोड़ा सावधानी बरतनी चाहिए. ऐसों को यह पुरस्कार नहीं देने चाहिए, जो दागी हों. बीजेपी नेता शहनवाज हुसैन ने भी कहा कि सरकार ने पद्म पुरस्कारों का मजाक बना दिया है.