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पाक और चीन भारत की सुरक्षा के लिए ‘बड़े सिरदर्द’: सेना प्रमुख

भारत की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान और चीन को ‘बड़ा सिरदर्द’ बताते हुए थल सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह ने शुक्रवार को कहा कि देश को परमाणु परिप्रेक्ष्य में ठोस पारंपरिक युद्ध क्षमता के साथ तैयार रहना चाहिए.

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भारत की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान और चीन को ‘बड़ा सिरदर्द’ बताते हुए थल सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह ने शुक्रवार को कहा कि देश को परमाणु परिप्रेक्ष्य में ठोस पारंपरिक युद्ध क्षमता के साथ तैयार रहना चाहिए.

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एक संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए सिंह ने कहा कि पाकिस्तान से खतरा उसकी शासन संबंधी समस्याओं और आतंकवादी संगठनों को उसके समर्थन की वजह से है. वहीं, चीन से चुनौती उसकी सैन्य क्षमताओं की वजह से है.

हालांकि, एक अन्य कार्यक्रम में सिंह की टिप्पणी के संबंध में प्रतिक्रिया मांगे जाने पर वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल पी वी नाइक ने कहा कि वह इस बहस में पड़ने के इच्छुक नहीं हैं कि कौन सा देश भारत की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है. नाइक ने कहा कि देश का सैन्य आधुनिकीकरण कार्यक्रम शत्रु केंद्रित होने की बजाय क्षमता केंद्रित होना चाहिए अन्यथा यह क्षेत्र में हथियारों की दौड़ शुरू कर देगा. {mospagebreak}

सिंह ने सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज (सीएलएडब्ल्यूएस) द्वारा आयोजित ‘इंडियन आर्मी: इमर्जिंग रोल्स एंड टास्क्स’ विषय पर संगोष्ठी में कहा, ‘हमारे लिए दो बड़े सिरदर्द हैं. एक तो पाकिस्तान है जहां शासन की समस्या है. वहां आतंकवादी संगठनों को समर्थन मिलता है और वहां आंतरिक हालात बहुत अच्छे नहीं हैं. इसलिए इन चीजों का भारत पर प्रभाव पड़ सकता है.’

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उन्होंने कहा, ‘जब तक सीमा पार आतंकवादी ढांचे बरकरार रहेंगे, हमारे लिए चिंता की बात है.’ चीन की ओर से खतरे का उल्लेख करते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि भारत को पूर्वी देश की सैन्य मंशा पर सतर्क निगाह रखने की आवश्यकता है. गौरतलब है कि चीन का आर्थिक और सैन्य दोनों तरीके से विकास हो रहा है. उन्होंने कहा, ‘यद्यपि हमारी बेहद स्थिर सीमा है, लेकिन अब भी हमारा सीमा विवाद है. इसलिए जो अतिरिक्त क्षमता बढ़ रही है उसकी मंशा पर गौर करने की आवश्यकता है.’

उन्होंने कहा कि चीन के साथ पूरी तरह पारंपरिक युद्ध ‘निश्चित नहीं’ है लेकिन छोटे-छोटे संघर्ष निश्चित तौर पर संभव हैं. उन्होंने कहा, ‘हमारे पास परमाणु परिप्रेक्ष्य में ठोस पारंपरिक युद्धक क्षमताओं के साथ लड़ने की निश्चित तौर पर क्षमता होनी चाहिए.’ {mospagebreak}

सैन्य प्रमुख ने कहा कि चीन का सैन्य आधुनिकीकरण प्रभावित करता है कि ‘हम कैसे अपनी सेना को तैयार करेंगे और क्या भूमिका हम उसे सौंपेंगे जिससे यह उस कार्य को कर सके, जो देश उससे चाहता है. इसलिए इसके साथ ही, हम यह भी देखें कि कौन से कुछ खतरे हैं जिसका हम सामना करते हैं या हमारे पास क्या चुनौतियां हैं.’ हालांकि उन्होंने कहा कि भारत की अपने भूभाग के बाहर कोई महत्वाकांक्षा नहीं है.

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इस बीच, नाइक ने कहा कि देश का दीर्घावधि सैन्य विकास कार्यक्रम होना चाहिए जो देश या खतरा केंद्रित नहीं बल्कि क्षमता केंद्रित होना चाहिए. नाइक ने सीआईआई में एक कार्यक्रम में कहा, ‘हमें (सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण) क्षमता केंद्रित होना है. हमने महसूस किया है कि देश विशेष पर केंद्रित होने या खतरा केंद्रित होना हमें हथियारों की प्रतिस्पर्धा की ओर ले जाएगा.’ {mospagebreak}

सिंह और नाइक का बयान रक्षा मंत्री ए के एंटनी के उस बयान के एक पखवाड़े बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत के पड़ोसी देश काफी तेज गति से सैन्य क्षमताएं विकसित कर रहे हैं और देश को सतर्क रहना होगा तथा किसी भी तरह की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा.

नाइक ने कहा कि किसी भी देश की सेना समूचे सुरक्षा माहौल और उसके विकास को प्रभावित करने वाले सभी कारकों पर गौर करती है और उसकी किसी देश विशेष पर केंद्रित योजना नहीं हो सकती. उन्होंने कहा, ‘योजना को क्षमता केंद्रित होना है और आपको फैसला करना है कि 2022 में हमारे पास खास क्षमता होनी चाहिए क्योंकि देश को इसकी जरूरत होगी और आप उस दिशा में अपने बलों को विकसित करेंगे.’

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