भारत ने पाकिस्तान से सक्रिय आतंकवादी संगठनों को ‘‘बुरी ताकतें’’ करार दिया और जोर देकर कहा कि सामना होने पर उन्हें अच्छी तरह धूल चटायी जाएगी.
गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने कहा कि भारत में कई घातक आतंकवादी हमले करने के लिए जिम्मेदार लश्कर ए तय्यबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी संगठनों ने गुरुवार को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद में एक बैठक की और यह साफ जाहिर था कि ये संगठन भारत के खिलाफ ‘‘कठोर’’ हैं.
आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए गृह मंत्री ने कहा ‘‘उत्पात और हिंसा उनके हथियार हैं और उनका मकसद कश्मीर को जबरन अलग करना है. मैं यह स्पष्ट कर दूं कि ये बुरी ताकतें अपने मकसद में सफल नहीं हो पाएंगी. जब भी और जहां भी हमारा उनसे सामना होगा, हम उन्हें परास्त कर देंगे.’’
चिदम्बरम ने कहा कि पिछले 14 महीने में कोई बड़ा आतंकवादी हमला और बड़ी सांप्रदायिक हिंसा नहीं हुई है जो संतोष का विषय है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि देश को आतंकवादी हमलों से खतरा नहीं है. उन्होंने कहा‘‘ हमें सतर्क रहना चाहिए. हमें अपनी क्षमताएं बढ़ाने पर लगातार काम करते रहना चाहिए. और हमें आतंकवादी खतरों से निपटने की एहतियाती तैयारियों और सांप्रदायिक कटुता को रोकने के लिए अपने संस्थानों तथा प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार करना चाहिए.’
बांग्लादेश के सहयोग के लिए उसका धन्यवाद करते हुए चिदम्बरम ने कहा कि वहां स्थित पूर्वोत्तर के उग्रवादी संगठनों के कई नेता भारत लौटने को बाध्य हुए और या तो उन्होंने समर्पण कर दिया या सुरक्षा बलों द्वारा उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. उन्होंने कहा ‘‘आतंकवाद और हिंसा पर नियंत्रण के हमारे प्रतिबद्ध प्रयासों का अच्छा असर हुआ है कई आतंकवादी संगठनों ने हथियार डाल दिए हैं और संबंधित राज्य सरकार तथा केन्द्र सरकार के साथ बातचीत के लिए आगे आए हैं.’’
नक्सलवाद को गंभीर खतरा करार देते हुए गृह मंत्री ने कहा, केन्द्र ने ऐलान किया है कि वह राज्य सरकारों को नक्सलियों से वार्ता के लिए प्रोत्साहित करेगा बशर्ते वे हिंसा छोड़ें लेकिन भाकपा (माओवादी) ने इस पेशकश का मजाक उड़ाया और इसे नकार दिया. उन्होंने कहा ‘‘इसलिए नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से विचार विमर्श कर हमने भाकपा (माओवादी) द्वारा पेश चुनौती का बहादुरी से मुकाबला करने का फैसला किया.’’ {mospagebreak}
चिदम्बरम ने कहा कि वर्ष 2009 में नक्सल प्रभावित राज्यों में मारे गए लोगों की संख्या में इजाफा हुआ था और 591 नागरिक, 317 सुरक्षा बल तथा 217 उग्रवादी मारे गए थे. गृह मंत्री ने कहा ‘‘अब चूंकि नक्सलियों के कब्जे वाले इलाकों को मुक्त कराने के लिए सुरक्षा बल आगे बढ़ रहे हैं तो, संभव है कि वर्ष 2010 में भी यह चलन जारी रहे. लेकिन मुझे विश्वास है कि संबंधित राज्य सरकारों को धीरे-धीरे सफलता मिलेगी और प्रशासन का अधिकार स्थापित होगा.’’
गृह मंत्री ने हालांकि राज्य सरकारों से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि ऐसे इलाकों में नागरिक प्रशासन तत्काल स्थापित किया जाए और विकास तथा कल्याणकारी योजनाओं को लागू किया जाए. गृह मंत्री ने कहा कि वर्ष 2009 में जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में पिछले कई सालों में पहली बार कम घटनाएं हुयीं.
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में 499 घटनाएं हुई जबकि 78 नागरिक और सुरक्षा बलों के 64 सदस्य तथा 239 उग्रवादी मारे गए. राज्यों में पुलिस बलों में कमी की गंभीर समस्या का जिक्र करते हुए चिदम्बरम ने कहा कि आवंटित पदों की तुलना में भारी संख्या में रिक्तियां हैं. एक जनवरी 2009 की स्थिति के अनुसार, 1,53,428 पद खाली थे जिनके इस वर्ष 31 मार्च तक कम होकर 1,38,559 होने की संभावना है. उन्होंने कहा‘‘ इसके अलावा, उत्तर प्रदेश की स्थिति अलग ही विचित्र है. दिसंबर 2008 में उत्तर प्रदेश में 2,04,021 नए पदों को मंजूरी दी गयी और मुझे सूचित किया गया है कि भर्ती प्रक्रिया जारी है. रिक्त पदों की संख्या बेहद खराब स्थिति दर्शाती है.