भारत पर बातचीत के अंतिम क्षणों में अटक जाने का आरोप लगाते हुए पाकिस्तान ने शुक्रवार को कहा कि भारत भविष्य की बातचीत के खाके पर कोई वादा करने को तैयार नहीं है और स्पष्ट कर दिया कि अगर कश्मीर पर बातचीत नहीं होगी तो वार्ता का सिलसिला आगे नहीं बढ़ पाएगा.
भारत के विदेश मंत्री एस एम कृष्णा के साथ बात करने के एक दिन बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अगर हम केवल उन्हीं मुद्दों पर तवज्जो देंगे, जिन्हें भारत अहमियत देता है और उन्हें नजरअंदाज करेंगे, जो पाकिस्तान की नजर में जरूरी हैं तो मुझे नहीं लगता कि बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ पाएगा.’’
उन्होंने कहा, ‘‘कश्मीर हमारी बातचीत का हिस्सा रहा है. यह विवादित क्षेत्र है. ऐसा मुमकिन नहीं है कि कश्मीर को बातचीत से अलहदा कर दिया जाए.’’ कुरैशी ने कहा कि जम्मू और कश्मीर, शांति और सुरक्षा तथा सियाचिन जैसे बुनियादी मसलों को नजरअंदाज करके सांस्कृतिक और व्यापारिक रिश्तों पर बात करने का कोई औचित्य नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘‘हम उनकी चिंताएं समझते हैं और उन्हें दूर भी करना चाहते हैं, लेकिन पाकिस्तान की भी चिंताएं हैं, जिन्हें उन्हें (भारत को) दूर करना होगा.’’ कुरैशी ने कहा कि कोई गतिरोध नहीं है, लेकिन साथ ही यह भी स्वीकार किया कि ‘‘ दिक्कतें और मुश्किलें हैं, जिन्हें दोनो पक्षों को दूर करना होगा.’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत-पाकिस्तान वार्ता की यह प्रवृत्ति रही है कि जब भी कोई प्रगति होती है, अंतिम क्षणों में हमेशा कोई हिचक आ जाती है. पाकिस्तानी पक्ष से कोई हिचक नहीं है.’’ पाकिस्तानी विदेश मंत्री के अनुसार कृष्णा ने कहा था कि वह तमाम मुद्दों पर बात करने को तैयार हैं, लेकिन ‘‘हम चाहते थे कि बातचीत की समाप्ति पर हमारे पास भविष्य की बातचीत का खाका हो और उनका ख्याल था कि ऐसा कोई वादा करने के लिए उनके पास आदेश नहीं है.’’{mospagebreak}कुरैशी ने जोर देकर कहा कि भारत बातचीत को सीमित कर रहा था और पाकिस्तान ने स्पष्ट कर दिया कि ‘‘बातचीत में आप चुनिंदा नहीं हो सकते.’’ उन्होंने कहा भारत और पाकिस्तान के बीच मुद्दों की पहचान पहले ही हो चुकी है वह चार वर्ष तक चली समग्र वार्ता के आठ दौर के हिस्से हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ अगर वह उन्हीं मुद्दों तक सीमित रहना चाहते हैं तो यह पाकिस्तान के लिए मुश्किल होगा.’
कृष्णा पर व्यंग्य करते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा कि वह बातचीत के दौरान फोन पर बात करने के लिए एक बार भी बाहर नहीं गए, लेकिन ‘भारतीय विदेश मंत्री को बैठक के दौरान रह रहकर नई दिल्ली से विदेश नीति के बारे में हिदायतें मिलती रहीं.’
उन्होंने कहा, ‘मैंने पाकिस्तानी दल का नेतृत्व किया और दिनभर की बातचीत के दौरान मुझे पाकिस्तान के नेताओं को एक बार भी फोन करने की जरूरत नहीं पड़ी. कृष्णा विदेश नीति का निर्धारण करने वालों के अगुवा हैं तो दिल्ली से बार बार उन्हें हिदायतें क्यों दी जा रही थीं.’ {mospagebreak}
कुरैशी ने कहा कि भारतीय पक्ष कल की बातचीत में ‘चुनिंदा’ रहा हालांकि अप्रैल में भूटान में भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों के बीच हुई बैठक की भावना से यह बात मेल नहीं खाती क्योंकि उन्होंने तमाम मुद्दों पर बात करने का फैसला किया था. पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा, ‘बातचीत में प्रगति तभी हो सकती है, जब हम सभी विषयों पर एक साथ आगे बढ़ें. अगर हम केवल उन्हीं मुद्दों को तवज्जो देंगे, जिन्हें भारत अहमियत देता है और पाकिस्तान के हित के मुद्दों को दरकिनार कर देंगे तो हम चीजों को आगे नहीं बढ़ा सकते.’
उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों में दिक्कतें हैं और दोनों देशों को उन्हें दूर करने का रास्ता तलाश करना होगा. उन्होंने कहा, ‘हम हर समय और हर जगह बात करने को तैयार हैं और हमें कोई जल्दी नहीं है. हम उनके तैयार होने तक इंतजार करेंगे.’ कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान बातचीत के नतीजे के तौर पर भविष्य के लिए एक खाका चाहता है, लेकिन भारतीय पक्ष का ख्याल है कि उनके पास ऐसा कोई वादा करने का आदेश नहीं है. {mospagebreak}
उन्होंने कहा, ‘भारत बातचीत को सीमित कर रहा है और हमारा कहना है कि आप चुनिंदा नहीं हो सकते.’ उन्होंने कहा, ‘हम भारत की चिंताएं समझते हैं और उन्हें दूर करना चाहते हैं, लेकिन पाकिस्तान की भी चिंताएं हैं और बुनियादी मुद्दे हैं, जिन्हें भारत को समझना चाहिए.’ पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा, ‘पाकिस्तान बातचीत करने को तैयार है, लेकिन वार्ता ठोस, सार्थक और परिणामोन्मुखी होनी चाहिए. पाकिस्तान की जनता और कश्मीरियों को जम्मू और कश्मीर के हालात से अलहदा नहीं किया जा सकता.’
उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान की तरफ से कोई हिचक नहीं है. मैं किसी भी मुद्दे पर बात करने को तैयार हूं.’ यह पूछे जाने पर कि क्या कल की बातचीत में कोई रुकावट आई, कुरैशी ने कहा, ‘मैं इसे रुकावट नहीं कहूंगा, लेकिन मैं कहूंगा कि पाकिस्तान का रवैया मजबूत एवं रचनात्मक था और हम आगे बढ़ना चाहते थे. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने भारत को विश्वास बहाल करने और अविश्वास की खाई पाटने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी दी.
उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसे कई मुद्दों पर सहमति बनी, जिनपर प्रगति से माहौल को सुधारा जा सकता है. कुरैशी ने कहा कि बुधवार की रात अनौपचारिक रात्रि भोज के दौरान कृष्णा के साथ उनकी बातचीत बहुत सफल रही, लेकिन एक दिन बाद औपचारिक बातचीत में चीजें बदल गईं. उन्होंने कहा, ‘मेरा सोचना है कि बुनियादी स्तर पर भारत पूरी तरह तैयार नहीं है.’
कुरैशी ने स्पष्ट कर दिया कि पाकिस्तान कश्मीर के मसले पर अपनी ऐतिहासिक स्थिति से पीछे हटने को तैयार नहीं है. कृष्णा के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने जोर देकर कहा कि जम्मू और कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन और कानून एवं व्यवस्था की समस्या से राज्य की निर्वाचित सरकार ही निपटेगी. {mospagebreak}
उन्होंने कहा, ‘यह पहले ही तय हो चुका है कि कश्मीर हमारी बातचीत का हिस्सा है और यह एक विवादित क्षेत्र है. अगर यह कहा जाता है कि पाकिस्तान की जनता और कश्मीरियों को (जम्मू और कश्मीर के) भीतरी हालात से अलहदा कर दिया जाए तो वह मुमकिन नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘मानवाधिकारों के उल्लंघन पर नजर रखने के लिए भारत में तंत्र हो सकते हैं, लेकिन अगर कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना को तैनात किया जाता है, कई शहरों में कर्फ्यू है, पूरे जम्मू और कश्मीर में हड़ताल हो रही हैं और बेगुनाह लोग प्रभावित हो रहे हैं, तो पाकिस्तान अलहदा कैसे रह सकता है.’
उन्होंने कहा, ‘भारत अधिकृत कश्मीर की सरकार भी इस बातचीत पर आशा भरी नजरों से देख रही है और इसमें प्रगति की उम्मीद लगाए बैठी है क्योंकि वह उन दिक्कतों को समझती है, जिनसे वह इस वक्त गुजर रही है.’ पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा, ‘आतंकवाद से निपटने के लिए पाकिस्तान भी उतना ही तैयार है, जितना भारत, क्योंकि पाकिस्तान भी इस लानत का शिकार रहा है.’
कुरैशी ने कृष्णा के इस दावे को भी झुठला दिया कि पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में अस्थिरता को बढ़ावा देने में भारत की कथित भूमिका से जुड़ा कोई सुबूत नहीं दिया. उन्होंने कहा कि वह गुरुवार के संवाददाता सम्मेलन में इस विषय पर इसलिए चुप रहे क्योंकि वह मेजबान थे और कृष्णा उनके मेहमान थे. उन्होंने कहा, ‘मेरी जानकारी के अनुसार हमारे गृह मंत्री ने इस बारे में भारत के गृह मंत्री से बात की है और कृष्णा को इस बारे में पता होना चाहिए.’