आतंकवादी संगठन लश्कर ए तय्यबा को भारत तथा बाकी दुनिया के लिए बेहद गंभीर खतरा करार देते हुए यूरोपीय संघ ने यह स्पष्ट कर दिया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के परिणामस्वरूप पाकिस्तान को इस आतंकवादी संगठन, इसके प्रमुख संगठन जेयूडी तथा उसके मुखिया हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.
भारत के लिए स्पष्ट खतरा है लश्कर
यूरोपीय संघ के काउंटर टेरेरिज्म कोओर्डिनेटर गिल्स डी काशरेव ने कहा कि इस प्रकार के खतरों को समाप्त करने के लिए पाकिस्तान की लोकतांत्रिक सरकार तथा सेना को एकजुट होकर कार्रवाई करनी होगी जो उसकी धरती से जुड़े हैं. काशरेव ने कहा यूरोपीय संघ के सदस्य देश अच्छी तरह से इस बात को समझते हैं और सहमति रखते हैं कि लश्कर ए तय्यबा एक बेहद गंभीर खतरा है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लश्कर और अल कायदा का एक एजेंडा होने को रेखांकित करते हुए यूरोपीय संघ के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि लश्कर भारत के लिए स्पष्ट खतरा है और हम इस बात से चिंतित हैं. यह हमारे लिए भी खतरा है.
पाकिस्तान को करनी ही पड़ेगी कार्रवाई
मुंबई हमलों की पृष्ठभूमि में वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों के साथ पाकिस्तान से उत्पन्न खतरों पर चर्चा करते हुए काशरेव ने कहा कि उन्होंने हाल ही में इस्लामाबाद की यात्रा की थी ताकि उन्हें हम मुंबई हमलों के साजिशकर्ताओं के खिलाफ मामला चलाने और उन्हें सजा दिलाने की अपनी इच्छा उनके समक्ष जाहिर कर सकें. काशरेव ने पाकिस्तान सरकार को यह स्पष्ट कर दिया कि उसे सईद समेत लश्कर के प्रमुख संगठन जमात उद दावा के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ेगी क्योंकि इसे ‘‘संयुक्त राष्ट्र सूची (प्रतिबंधित संगठनों की सूची) में रखा गया है. न केवल जमात उद दावा बल्कि सईद को भी प्रतिबंधित समिति ने सूची में डाला हुआ है.’’ जब उनका ध्यान इस बात की ओर दिलाया गया कि पाकिस्तान यह कहते हुए सईद के खिलाफ कार्रवाई से इनकार कर रहा है कि उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है, काशरेव ने कहा ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तानी इस सूची के परिणाम पर ध्यान देगा. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमने लोकतांत्रिक सरकार से गहन बातचीत की है.’’
यूरोप के लिए भी खतरा हैं ये आतंकी संगठन
यूरोपीय संघ के अधिकारी ने कहा कि लश्कर या जमात उद दावा जैसे पाकिस्तान स्थित संगठन न केवल भारत के लिए खतरा हैं बल्कि यूरोप के लिए भी खतरा हैं. उन्होंने कहा ‘‘हमने यूरोप और पाकिस्तान के बीच आवाजाही देखी है. यूरोप में रहने वाले कुछ युवक प्रशिक्षण शिविरों, मदरसों में भाग लेने के लिए पाकिस्तान जाते हैं. यह ऐसी चीज है जिस पर हमें प्रासंगिक सूचना का आदान प्रदान करना होगा और उसका आकलन कर उस पर चर्चा करनी होगी.’’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी पक्ष ने संकेत दिए थे कि आतंकवादी खतरे को लेकर ‘वे गंभीर हैं क्योंकि वहां की लोकतांत्रिक सरकार महसूस करती है कि तालिबान, लश्कर और जैश ए मोहम्मद जैसे समूहों का आतंकवाद पाकिस्तान के लिए ‘‘अस्तित्व से जुड़ा खतरा’’ है.