पेशावर में आर्मी स्कूल पर तालिबान के हमले के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने आतंक के खिलाफ अंतिम सांस तक लड़ने की बात कही है. खबर आ रही है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख रहील शरीफ ने उनसे 3000 आतंकियों की फांसी पर लगी पाबंदी हटाने की बात कही थी, जिसे उन्होंने मंजूर कर दिया है. वैसे मंगलवार को हुए हमले के बाद शरीफ ने आंकड़ा 500 बताया था. बहरहाल, संख्या चाहे जो भी हो पर यहां सवाल मंशा का है, क्योंकि नवाज के दावे के तुरंत बाद मुंबई हमले के आरोपी लश्कर कमांडर जकीउर रहमान लखवी की बेल की खबर सामने आई, जिस पर इधर भारत में कड़ी प्रतिक्रिया देखी गई. अब सवाल उठने लगे कि 'वॉर अगेंस्ट टेरर' के तहत आतंकियों को चुन-चुनकर मारने का पुरानी फार्मूला चलेगा या फिर नीति में बदलाव होगा?
खबर यह भी आ रही है कि पाकिस्तान सरकार लखवी की जमानत का विरोध करेगी. आगे का एक्शन प्लान क्या होगा, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन बात निकली है तो कुछ पुराने पन्ने भी पलटे जाएंगे. जिक्र करगिल का भी होनी. चर्चा तो उस खबर की भी होनी चाहिये, जिसमें अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के साथ शरीफ की पांच मुलाकातों का चिट्ठा था. बात तो उस तालिबान की भी होनी चाहिए जो पाकिस्तान में सालों से लाशें गिरा रहा है, फिर भी शरीफ के दिल में तालिबानी लड़ाकों के लिए प्रेम कम नहीं होता.
एक सच यह है कि शरीफ की सरकार के पास वो ताकत ही नहीं है कि वह आतंकियों के सफाए के लिए कोई ठोस कदम उठा सके तो दूसरा पहलू यह भी है कि ताकत तो छोड़ो क्या मंशा भी है? आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही फैक्ट्स जो नवाज के वादे और दावे दोनों पर सवाल खड़े करते हैं.
ओसामा से पांच मुलाकातें
सितंबर 2009 में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व अधिकारी ख्वाजा अब्बास ने सनसनीखेज खुलासा किया था. उनका दावा था कि दुनिया के मोस्ट वांटेड आतंकवादी रहे ओसामा बिन लादेन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बीच कम से कम पांच मुलाकातें हुईं थीं. ये मुलाकातें 90 के दशक में हुई थीं और उस वक्त भी नवाज पाकिस्तान के पीएम हुआ करते थे.
करगिल पर बोला झूठ
नवाज शरीफ के भरोसे पर पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी शांति की दिशा में कदम बढ़ाते रहे, लेकिन भारत को मिला करगिल युद्ध. शरीफ हमेशा कहते रहे कि ये सब मुशर्रफ का किया धरा था, लेकिन पाकिस्तान के ही पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल शाहिद अजीज ने कुछ और दावा किया. आईएसआई के डायरेक्टर रहे अजीज की मानें तो पूरी साजिश को शरीफ ने हरी झंडी दे दी थी. शरीफ ने 29 जनवरी 1999 को करगिल के करीब स्कर्दू में सैन्य ठिकानों का दौरा किया था, जिसकी तस्वीरें भी सामने आई थीं. 'एक सिपाही की सरगुजश्त’ नाम की किताब में जनरल अजीज ने लिखा कि करगिल जंग की साजिश चार लोगों ने मिलकर रची थी. ये चार लोग थे जनरल परवेज मुशर्रफ, लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद अजीज, लेफ्टिनेंट जनरल जावेद हसन और लेफ्टिनेंट जनरल महमूद अहमद.
हाफिज की रैली के लिए सरकारी फंड
यह घटना तो हाल की ही है. जमात-उद-दावा सरगना और मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की रैली के लिए नवाज शरीफ की सरकार स्पेशल ट्रेन चलवाईं. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में नवाज की पार्टी पीएमएल-एन की ही सरकार है. यहां नवाज के भाई शाहबाज शरीफ सत्ता संभालते हैं. जमात को सबसे ज्यादा फंड मुहैया कराने वालों नवाज की पार्टी और सरकार सबसे आगे रहते हैं.
सुन्नी आतंकी संगठन का पॉलिटिकल फेस
आतंकी संगठन लश्कर-ए-झांगवी सुन्नी देवबंदी मुसलमानों का गुट है. यह तालिबान का भी करीबी सहयोगी है, लेकिन नवाज के इस गुट के साथ संबंध जगजाहिर है. इतना ही नहीं, नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग को तो इस गुट का पॉलिटिकल फेस तक कहा जाता है. गौरतलब है कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में लश्कर-ए-झांगवी और तालिबान दोनों का दबदबा है. यही कारण है कि शरीफ कई सालों से तालिबान के साथ वार्ता के पैरोकार रहे हैं.
मुशर्रफ ने कहा था 'तालिबान का दोस्त'
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और जनरल परवेज मुशर्रफ ने तो एक समय नवाज शरीफ को 'तालिबान का दोस्त' तक करार दे दिया था. उन्होंने कहा था कि तालिबान ब्रैंड इस्लामिक टेरिरिज्म देश के लिए बेहद खतरनाक साबित होगा.
लादेन से फंडिंग के आरोप
90 के दशक में शरीफ और लादेन के बीच साठगांठ की चर्चा जोरों पर थी. पाकिस्तान और ब्रिटिश इंटलिजेंस एजेंसी के सूत्रों के हवाले से खबरें आईं थीं कि लादेन ने आईएसआई के अफसरों के साथ शरीफ को जिताने की बात कही और करीब एक करोड़ डॉलर भी उनकी पार्टी को दिया था. लादेन ने शरीफ से यह भी कहा था कि चुनाव जीतने के बाद उनकी सरकार पाकिस्तान को हार्ड लाइन इस्लामिक स्टेट बनाने की दिशा में काम करेगी. बाद में बेनजीर भुट्टो ने भी शरीफ पर लादेन की मदद से चुनाव जीतने के आरोप लगाए थे.
अफगान तालिबान को भी समर्थन
25 मई 1997 को पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता दी थी. उस वक्त सत्ता में नवाज शरीफ ही थे. पाक के पूर्व राष्ट्रपति और जनरल परवेज मुशर्रफ ने हाल में एक प्रोग्राम के दौरान कबूल किया था कि तालिबान सरकार को मान्यता देना ब्लंडर था.