जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद बौखलाए पाकिस्तान ने अपने हवाईक्षेत्र में मौजूद 11 हवाई मार्गों में से तीन को भारतीय विमानन सेवा कंपनियों के लिए बंद कर दिया है. इसकी वजह से करीब भारत से यूरोप, अमेरिका और मध्य-पूर्वी देशों की तरफ जाने वाली 50 उड़ानों में करीब 10 से 15 मिनट की देरी हो रही है. हालांकि, पाकिस्तान के ऊपर ने निकलने वाली लंबी दूरी के उड़ान मार्ग अब भी खुले हुए हैं. अगर पाकिस्तान सारे रास्ते बंद कर देगा तो उड़ानों में 2 से 3 घंटे की देरी हो सकती है. आखिर, क्या होता है किसी देश का हवाई क्षेत्र. कैसे तय होता है हवाई मार्ग?
कैसे निर्धारित होता है किसी देश का हवाई क्षेत्र
जब भी किसी देश की सीमाओं की बात होती है, तब उसके सीमाओं में आने वाली जमीन, पानी और आकाश पर चर्चा होती है. हवाई क्षेत्र को समझने के लिए पहले हमें जलसीमा को जानना होगा. सभी देशों का उसके जमीनी तट से 22.2 किमी दूर समुद्र में अधिकार होता है. इसे जलसीमा कहते हैं. किसी भी देश के जल और थलसीमा के ऊपर के आकाशीय क्षेत्र को एयरस्पेस (हवाई क्षेत्र) कहते हैं. हवाई क्षेत्र का मालिक देश यह तय करता है कि उसके एयरस्पेस से कौन गुजर सकता है और कौन नहीं.
जमीन से ऊंचाई और उपयोग के आधार पर हवाई क्षेत्र को विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया है. ये हैं - नियंत्रित हवाई क्षेत्र, अनियंत्रित हवाई क्षेत्र, विशेष उपयोग के हवाई क्षेत्र और प्रतिबंधित हवाई क्षेत्र.
कैसे तय किया जाता है कि किस रास्ते से उड़ेगा हवाई जहाज
जो एयरपोर्ट के बीच जब कोई विमान उड़ता है उसके रास्ते को हवाई मार्ग या एयर रूट कहते हैं. लेकिन यह सिर्फ कॉमर्शियल फ्लाइट्स पर लागू होता है. निजी विमान, पर्यटक विमान, सैन्य विमान एक जगह से उड़कर उसी जगह वापस जाते हैं. इसे आउट-एंड-बैंक ट्रिप कहते हैं. लेकिन दो देशों में मौजूद हवाई अड्डों के बीच हवाई मार्ग तय करने के कुछ मानक होते हैं. पहला और सबसे जरूरी मानक है - दूरी.
उड़ान शुरू करने वाले स्थान से उड़ान के गंतव्य स्थान तक सबसे कम हवाई दूरी वाले मार्ग को चुना जाता है. फिर देखते है कि इस मार्ग का मौसम कैसा है? हवा की रफ्तार क्या होगी? आपातकालीन समय में नजदीकी एयरपोर्ट की दूरी कितनी होगी? हवाई क्षेत्र के नीचे पड़ने वाले थल या जलीय क्षेत्र में किसी तरह का विवाद तो नहीं है. जब सभी मानकों पर खरा उतरने के बाद ही मार्ग को चुना जाता है. ये मार्ग कई देशों के ऊपर से होकर गुजरते हैं. इसलिए किसी भी विमान को उन सभी देशों की अनुमति लेनी पड़ती है, जिनके ऊपर से वह गुजरता है.