जम्मू-कश्मीर के उरी में हुए आतंकी हमले को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ रहा है. 18 सैनिकों की शहादत के बाद मोदी सरकार पाकिस्तान को हर सूरत में इस हमले का जवाब देने के लिए तैयार है. वहीं पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल राहिल शरीफ ने कहा है कि उनकी सेना हर तरह के हमले का जवाब देने के लिए तैयार है. यूएन महासभा में हिस्सा लेने अमेरिका पहुंचे पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ ने फिर से कश्मीर का राग अलापना शुरू कर दिया है.
पाकिस्तानी मीडिया उरी हमले को भारत की ही साजिश बताकर अपने मुल्क के हुक्मरानों को 'क्लीन चिट' दे रहा है जबकि पड़ोसी मुल्क में चर्चा आम है कि उरी में आतंकी हमला पाकिस्तानी आर्मी चीफ की शह पर हुआ है और इसके पीछे जनरल शरीफ की महत्वाकांक्षा है. शरीफ भी अपने पूर्व के सैन्य प्रमुखों की तरह सेवा विस्तार चाहते हैं लेकिन पीएम ऐसा नहीं चाहते और राहिल शरीफ के उत्तराधिकारी की जोर-शोर से तलाश कर रहे हैं. एक पाकिस्तानी जानकार का कहना है कि आर्मी चीफ ऐसी घटनाओं से सरहद पर माहौल गर्म बनाकर पीएम शरीफ पर दबाव बनाना चाहते हैं कि वो सेवा विस्तार देने के लिए मजबूर हो जाएं. पाकिस्तान के एक जाने-माने पत्रकार ने पिछले दिनों एक शो के दौरान यह दावा भी कर दिया कि शरीफ सरकार ने जनरल को सेवा विस्तार की पेशकश की है और आर्मी चीफ ने इसे कबूल भी कर लिया है. हालांकि इसका औपचारिक ऐलान बाद में किया जाएगा.
मिलिट्री बैकग्राउंड के राहिल को पसंद है शिकार खेलना
क्वेटा में जन्मे राहिल शरीफ राजपूत परिवार से ताल्लुक रखते हैं जिनकी जड़ें पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से हैं. मिलिट्री बैकग्राउंड के राहिल के पिता मेजर राणा मुहम्मद शरीफ और बड़े भाई मेजर राणा शब्बीर शरीफ पाकिस्तानी फौज में थे. राणा शब्बीर 1971 की जंग में मारे गए थे और उन्हें मरणोपरांत पाकिस्तान के सर्वोच्च सैन्य सम्मान निशान-ए-हैदर से नवाजा गया था. तीन भाईयों और दो बहनों में सबसे छोटे राहिल के एक और भाई कैप्टन मुमताज शरीफ भी पाकिस्तानी फौज में थे लेकिन स्वास्थ्य कारणों की वजह से तय समय से पहले रिटायर हो गए थे. राहिल के मामा मेजर राजा अजीज भट्टी 1965 की जंग में मारे गए थे और उन्हें मरणोपरांत निशान-ए-हैदर से नवाजा गया था. राहिल पढ़ने के शौकीन हैं और शिकार खेलने और स्वीमिंग में भी उनकी दिलचस्पी है.
लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज से पढ़े राहिल शरीफ को पाकिस्तान मिलिट्री कॉलेज के 54वें कोर्स में दाखिला मिला. अक्टूबर 1976 में एकेडमी से पास आउट होने के बाद फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट की छठी बटालियन में पहली तैनाती हुई. इस रेजिमेंट में राहिल के बड़े भाई राणा शब्बीर शरीफ भी सेवा दे चुके थे. राहिल पाकिस्तान मिलिट्री एकेडमी के एडजुडेंट और गिलगित में इंफ्रैट्री ब्रिगेड संभाल चुके हैं. 2002 में तत्कालीन आर्मी चीफ परवेज मुशर्रफ ने नदीज ताज को हटाकर राहिल शरीफ को मिलिट्री सेक्रेट्री नियुक्त किया था. लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर पहुंचने के बाद राहिल शरीफ ने दो वर्षों तक गुजरांवाला में कोर कमांडर के तौर पर सेवाएं दी. इसके बाद वो पाकिस्तानी आर्मी में इंस्पेक्टर जनरल (ट्रेनिंग) बनाए गए.
2 सीनियर अफसरों को नजरअंदाज कर बनाए गए आर्मी चीफ
राहिल शरीफ 29 नवंबर 2013 को पाकिस्तान के 15वें आर्मी चीफ बने. राहिल शरीफ को पीएम नवाज शरीफ ने ही पाकिस्तानी आर्मी का चीफ नियुक्त किया था. आमतौर पर पाकिस्तान में सेना प्रमुख तीन साल के लिए नियुक्त होते हैं. अगर राष्ट्रपति चाहें तो प्रधानमंत्री की सलाह से आर्मी चीफ को सेवा विस्तार दे सकते हैं. कहा जाता है कि जनरल शरीफ सियासत में दिलचस्पी नहीं रखते और इस मसले पर बहुत संतुलित विचार रखते हैं. लेकिन उन्हें दो सीनियर अफसरों को नजरअंदाज कर नवाज शरीफ ने आर्मी चीफ नियुक्त किया था. शरीफ के प्रमोशन से नाराज लेफ्टिनेंट जनरल हारुन असलम ने तो सेना से इस्तीफा तक दे दिया था जबकि रशद महमूद को ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ बना दिया गया.
10 महीने पहले रिटायरमेंट की बात कह चौंकाया
वैसे तो जनरल शरीफ का कार्यकाल इस साल नवंबर में खत्म हो रहा है लेकिन जब उन्होंने बीते जनवरी में अपने रिटायरमेंट से जुड़ा बयान दिया तो पाकिस्तान सरकार उनके उत्तराधिकारी के बारे में विचार करने पर मजबूर हो गई. तब जनरल ने कहा था, 'मैं सेवा विस्तार में यकीन नहीं रखता और तय तारीख पर ही रिटायर हो जाऊंगा.' जनरल का कार्यकाल खत्म होने से 10 महीने पहले सेना के प्रवक्ता की ओर से ट्वीट किया गया यह संक्षिप्त बयान इस बहस पर विराम लगाने के लिए काफी था कि सरकार को उन्हें सेवा विस्तार देना चाहिए या नहीं और वो इसे स्वीकार करेंगे या नहीं.
हालांकि, पाकिस्तानी सेना के प्रमुख की ओर से जारी यह बयान असमान्य था कि वो रिटायरमेंट के बाद अपनी कुर्सी छोड़ देंगे. जनरल शरीफ का तीन साल का कार्यकाल इस साल 30 नवंबर को खत्म हो रहा है. अगर वो तय समय पर रिटायर हो जाते हैं तो बीते दो दशक में ऐसा करने वाले पहले पाकिस्तानी सैन्य प्रमुख होंगे. उनके पहले जनरल अशफाक कयानी और जनरल परवेज मुशर्रफ को सेवा विस्तार मिला था जबकि जनरल जहांगीर करामत को कार्यकाल पूरा होने से पहले ही कुर्सी छोड़ना पड़ा था.
ऑपरेशन जर्ब-ए-अज्ब ने बनाया हीरो
2013 में तब जनरल कयानी ने जब ऐलान किया था कि वो दूसरी बार सेवा विस्तार नहीं लेंगे तो उस वक्त आर्मी चीफ की रेस में जनरल शरीफ कहीं भी शामिल नहीं थे. हालांकि, सभी कयासों पर विराम लगाते हुए जनरल शरीफ सेना के नए चीफ बने और उनके आलोचक उनकी क्षमता पर संदेह जताते रहे कि राहिल शरीफ को खुफिया और ऑपरेशंस मामले में महारत नहीं है. लेकिन इनसब के बावजूद जनरल शरीफ ने अपने आलोचकों को गलत साबित कर दिया.
जून 2014 में तहरीक-ए-तालिबान के खिलाफ उत्तरी वजीरिस्तान में ऑपरेशन जर्ब-ए-अज्ब की शुरुआत जनरल शरीफ के कार्यकाल का गोल्डन पीरियड रहा. पाकिस्तान के इस कबायली इलाके से आतंकवादियों के सफाये के लिए चलाया गया सुरक्षा बलों का ज्वाइंट ऑपरेशन अब अपने आखिरी चरण में है. जनरल शरीफ को कराची में आतंकवाद का सफाया करने और शहर में शांति बहाल करने का भी क्रेडिट दिया जाता है. शरीफ 'एबीसी न्यूज प्वाइंट' की तरफ से साल 2015 के लिए दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मिलिट्री कमांडर के सम्मान से नवाजे गए.
भ्रष्टाचार को लेकर दिखाए सख्त तेवर
राहिल शरीफ का मानना है कि जब तक भ्रष्टाचार की समस्या को जड़ से खत्म नहीं कर दिया जाता, तब तक आतंकवाद के खिलाफ चल रही जंग स्थायी शांति और स्थिरता नहीं ला सकती. जनरल ने बीते अप्रैल में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर दो सीनियर जनरल समेत 11 अफसरों को सेना से बर्खास्त कर दिया था. जनरल शरीफ से सीनियर अफसरों की बर्खास्तगी का इस सिलसिले में खासा महत्व है कि पनामा पेपर्स लीक मामले में पीएम शरीफ के परिवार के लोगों के भी नाम आए थे. खुलासा हुआ था कि पीएम शरीफ के दो बेटों और एक बेटी ने विदेश में कथित तौर पर खाते खोले और कंपनियां बनाईं.
वैसे भी जनरल शरीफ इस वक्त पाकिस्तान की अवाम के बीच खूब पसंद किए जाते हैं. बीते जुलाई में तो एक राजनीतिक दल ने पाकिस्तान के कई शहरों में पोस्टर लगाकर राहिल शरीफ से देश की कमान संभालने की मांग कर डाली थी. इन पोस्टरों के जरिये जनरल शरीफ से कहा गया कि वो देश में मार्शल लॉ लगाएं और टेक्नोक्रैट्स की सरकार बनाएं. इस पार्टी ने इससे पहले भी एक कैंपेन चलाया था. जिसमें राहिल शरीफ को अपने रिटायरमेंट पर एक बार फिर विचार करने को कहा था. यानी उरी हमले से न तो नवाज शरीफ को कोई फायदा होने वाला है, न ही मसूद अजहर या हाफिज सईद. अगर फायदा होता है तो जनरल शरीफ को जिन्हें सेवा विस्तार मिल सकता है. क्योंकि अवाम की नजर में राहिल ही असली हीरो हैं.