मुम्बई हमलों से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही पाकिस्तान की एक अदालत ने अजमल आमिर कसाब और फहीम अंसारी को भगोड़ा अपराधी घोषित करने की अर्जी खारिज करने के आतंकवाद-रोधी अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
लाहौर उच्च न्यायालय की रावलपिंडी पीठ ने सोमवार को सम्बन्धित याचिका दायर करने वाली फेडरल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (एफआईए) के वकील की दलीलें सुनने के बाद मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. 26 नवम्बर 2008 को हुए मुम्बई हमलों के तार पाकिस्तान से जुड़े होने की जांच कर रहे एफआईए के विशेष जांच समूह ने कसाब और अंसारी के ‘घोषित अपराधी’ या भगोड़ा मुजरिम घोषित नहीं करने के आतंकवाद रोधी अदालत के फैसले को चुनौती दी थी.
सूत्रों ने बताया कि एफआईए कसाब और अंसारी को भगोड़ा अपराधी घोषित कराना चाहता है ताकि कसाब के इकबालिया बयान को मुम्बई हमलों की योजना बनाने और उसे अंजाम देने के मामले में न्यायिक कार्रवाई का सामना कर रहे 7 पाकिस्तानी संदिग्धों के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सके. इन 7 संदिग्धों में लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर जकीउर रहमान लखवी, जरार शाह, हमाद अमीन सादिक, अबू अल कमा, शाहिद जमील रियाज, यूनस अंजुम और जमील अहमद शामिल हैं.
लाहौर उच्च न्यायालय की एक अन्य पीठ ने इससे पहले व्यवस्था दी थी कि कसाब के बयान को पाकिस्तान की अदालत में बतौर सुबूत इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. आतंकवाद-रोधी अदालत ने गत 27 मार्च को जारी आदेश में कसाब और अंसारी को भगोड़ा अपराधी घोषित करने की एफआईए की गुजारिश को नकार दिया था. उस अदालत ने यह भी कहा था कि कसाब और अंसारी भारत में हिरासत में हैं और उनके खिलाफ मुम्बई में मुकदमा चलाया जा रहा है.