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पाक: 26/11 के संदिग्धों के खिलाफ सबूत दर्ज

मुंबई हमलों के संबंध में लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर जकीउर रहमान लखवी समेत 7 लोगों के खिलाफ मुकदमा चला रही पाकिस्‍तान की आतंकवाद निरोधक अदालत में शनिवार को आरोपियों के खिलाफ सबूत और गवाहों के बयान दर्ज किए गए.

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मुंबई हमलों के संबंध में लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर जकीउर रहमान लखवी समेत 7 लोगों के खिलाफ मुकदमा चला रही पाकिस्‍तान की आतंकवाद निरोधक अदालत में शनिवार को आरोपियों के खिलाफ सबूत और गवाहों के बयान दर्ज किए गए.

सूत्रों ने बताया कि रावलपिंडी की आतंकवाद निरोधक अदालत में न्यायाधीश मलिक मुहम्मद अवान के सामने सरकारी अभियोजकों के दल ने आरोपियों के खिलाफ सबूत पेश किए. सबूतों का विस्तृत विवरण तुरंत नहीं पता चल सका. अदालत में एक प्रत्यक्षदर्शी जहीर अहमद सापरा के भी बयान दर्ज हुए, जिसने बताया कि उसने एक यामाहा इंजिन बुक किया गया था, जो हमलावरों द्वारा उपयोग में लाई गई नौका में लगा था.

सूत्रों ने बताया कि सापरा ने कहा कि उसने सिर्फ इंजिन बुक किया था और वह आरोपियों को व्यक्तिगत तौर पर नहीं जानता था. भारतीय जांचकर्ता पहले ही साबित कर चुके हैं कि नौका में लगा यामाहा इंजिन एक जापानी कंपनी ने बनाया था और उसे लाहौर की एक फर्म बिजनिस एंड इंजीनियरिंग ट्रेंड्स में लाया गया था. आरोपियों में से कुछ के वकील शाहबाज राजपूत ने बताया ‘‘सबूतों के प्रस्तुतिकरण के बाद न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई 13 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी है.’’
 
इससे पहले 23 जनवरी को हुई सुनवाई का बचाव पक्ष के वकीलों ने बहिष्कार किया था. वकीलों का आरोप था कि लाहौर हाईकोर्ट के आदेश के अनुरूप, रावलपिंडी की अडाला जेल में बंद उनके मुवक्किलों से मुलाकात की व्यवस्था और उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने में अधिकारी विफल रहे. सुरक्षा कारणों से जज अवान अडाला जेल में ही मामले की सुनवाई कर रहे हैं. लखवी के अलावा अन्य आरोपियों, जरार शाह, अबू अल-कामा, हमाद अमीन सादिक, शाहिद जमील रियाज, जमील अहमद और यूनुस अंजुम को भी अडाला जेल में रखा गया है. इन सभी पर पिछले साल मुंबई में नवंबर 2008 में हुए हमलों की योजना बनाने और हमलों को अंजाम देने में मदद करने का आरोप तय किया गया था.

लाहौर उच्च न्यायालय की रावलपिंडी आधारित एक खंडपीठ ने इस सप्ताह लखवी की इस मामले में बरी किए जाने संबंधी याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था. न्यायाधीशों के फैसला सुरक्षित रखने के बाद दोनों न्यायाधीशों को लाहौर वापस बुला लिया गया. अब आशा की जा रही है कि उनकी जगह पर आए न्यायाधीश फैसला सुनाएंगे. लखवी ने आतंकवाद निरोधक अदालत में खुद को बरी किए जाने की याचिका दायर की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया. इसे चुनौती देते हुए लखवी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी.

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