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पाकिस्तान की फेक न्यूज साजिश का खुलासा, 50 फर्जी अकाउंट सस्पेंड

भारतीय सेना के जिन अधिकारियों के नाम से ये फर्जी ट्विटर अकाउंट चल रहे थे, उनमें सेना प्रमुख के अलावा वाइस चीफ लेफ्टिनेंट जनरल देवराज अंबू, नॉर्दर्न आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रणवीर सिंह और लेफ्टिनेंट जनरल बलवंत भी शामिल हैं. जनरल बलवंत सेंट्रल आर्मी कमांडर पद से पिछले साल रिटायर हुए हैं.

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 50 फर्जी अकाउंट सस्पेंड
50 फर्जी अकाउंट सस्पेंड

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  • अधिकारियों के नाम से फैलाई जा रही थी फेक न्यूज
  • ट्विटर ने बंद किए 50 से ज्यादा फर्जी अकाउंट

जम्मू और कश्मीर से 370 हटने के बाद पाकिस्तान ने प्रोपेगैंडा फैलाने के लिए भारतीय सेना प्रमुख ​जनरल बिपिन रावत और अन्य सेना अधिकारियों के नाम से फर्जी ट्विटर अकाउंट बनाए थे. जिन सेना अधिकारियों के नाम से फर्जी ट्विटर हैंडल बनाए गए थे, उनमें से कुछ सेना में ऊंचे पदों पर तैनात हैं जबकि कुछ रिटायर हो चुके हैं. हालांकि, यह षडयंत्र जल्दी ही उजागर हो गया और भारतीय सेना ने 50 से ज्यादा ऐसे फर्जी ट्विटर अकाउंट को बंद करा दिया.

भारतीय सेना के जिन अधिकारियों के नाम से ये फर्जी ट्विटर अकाउंट चल रहे थे, उनमें सेना प्रमुख के अलावा वाइस चीफ लेफ्टिनेंट जनरल देवराज अंबू, नॉर्दर्न आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रणवीर सिंह और लेफ्टिनेंट जनरल बलवंत भी शामिल हैं. जनरल बलवंत सेंट्रल आर्मी कमांडर पद से पिछले साल रिटायर हुए हैं.

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इन सभी ट्विटर अकाउंट से विवादित और फर्जी सूचनाएं शेयर की जाती थीं. ये जितने ​फर्जी अकाउंट बने थे उनमें से एक लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित के नाम से था. कर्नल पुरोहित 2008 में मालेगांव में हुए ब्लास्ट में आरोपी हैं. इस घटना को कथित तौर पर हिंदू आतंकवादी षडयंत्र के तौर पर जाना जाता है.

सेना के सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया, “ऐसे फर्जी ट्विटर हैंडल की संख्या तेजी से बढ़ रही थी. इसके पीछे यह सोच थी कि फर्जी खबरों और प्रोपेगैंडा को वैधता दी जाए.” हालांकि, ट्विटर से इसकी शिकायत करने के ​बाद सेना के मौजूदा और रिटायर्ड अधिकारियों के नाम चल रहे 50 से ज्यादा फर्जी अकाउंट बंद कर दिए गए हैं.

जिन आर्मी अफसरों के नाम ये फर्जी अकाउंट चल रहे थे उनमें एक और महत्वपूर्ण नाम पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया का है. जनरल भाटिया डीजी, मिलिटरी आपरेशन रह चुके हैं और डिफेंस मामलों के जानकार के तौर पर विश्वसनीय चेहरा हैं. नियम के मुताबिक, सेना के पदस्थ अधिकारी सोशल मीडिया पर यूनिफॉर्म में फोटो नहीं डाल सकते. ये जितने फर्जी अकाउंट थे, इन सभी में अधिकारियों की यूनिफॉर्म में फोटो लगी हुई थी, जिससे कोई भी आसानी से पहचान सकता है कि ये फर्जी हैं.

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टॉप आफिसर्स के नाम पर बने इन अकाउंट्स से जो ट्वीट किए जाते थे उनमें प्रोपेगैंडा फैलाने के लिए मानवाधिकार उल्लंघन से जुड़े वीडियो या फिर नागरिकों और सेना के बीच संघर्ष को दिखाया जाता था. सूत्रों का कहना है कि कश्मीर से 370 हटने के बाद इन अकाउंट्स से ज्यादातर ट्वीट कश्मीर को लेकर किए गए और इसके लिए दुनिया भर के पुराने वीडियोज का इस्तेमाल किया गया.

अब इससे बचने के लिए यूट्यूब समेत सोशल मीडिया पर 24 घंटे की निगरानी रखी जा रही है ताकि फर्जी अकाउंट्स की पहचान की जा सके. सेना के सूत्रों ने बताया, “इन फर्जी अकाउंट में कई तो 4 से 5 साल पहले बनाए गए थे. इसके अलावा कई मशहूर बॉलीवुड हस्तियों के नाम पर भी ऐसे अकाउंट थे जो अचानक प्रोपेगैंडा और फर्जी खबरें फैलाने के लिए अति सक्रिय हो गए.”

इसी तरह का एक ट्विटर अकाउंट मशहूर अभिनेत्री रानी मुखर्जी के नाम पर था जो 2014 में बनाया गया था. इसी तरह से कुछ समय पहले आर्मी के नाम कई सारे फर्जी लेटर सोशल मीडिया पर डाले गए और व्हाट्सएप पर वायरल होते हुए वे आर्मी आफिसर्स तक पहुंच गए. पिछले साल भारतीय सेना के नाम पर एक फर्जी लेटर वायरल हुआ जिसमें  भीड़ की हिंसा, भेदभाव, समलैंगिकता और कई वेलफेयर के मामलों को लेकर संघर्ष की इच्छााक्ति जताई गई थी. इस लेटर पर ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारी का फर्जी दस्तखत किया गया था.

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