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पाकिस्तान ने भारत के साथ हमेशा सार्थक संवाद चाहा है: कुरैशी

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने मंगलवार को कहा कि कश्मीर के बुनियादी मुद्दे समेत तमाम लंबित मुद्दों के समाधान के लिए पाकिस्तान ने भारत के साथ हमेशा सार्थक संवाद चाहा है.

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पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने मंगलवार को कहा कि कश्मीर के बुनियादी मुद्दे समेत तमाम लंबित मुद्दों के समाधान के लिए पाकिस्तान ने भारत के साथ हमेशा सार्थक संवाद चाहा है.

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संसद के निचले सदन नेशनल एसेम्बली में कश्मीर पर सरकार की नीति के बारे में बताते हुए कुरैशी ने कहा, ‘हम विभिन्न मुद्दों का स्थायी समाधान खोजने और इससे पहले की सरकारों के समय में विदेश नीति को हुए नुकसान की भरपाई करने की कोशिश कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘बीते साल मिस्र के शर्म अल शेख में पाकिस्तान और भारत के प्रधानमंत्री अपनी मुलाकात के दौरान इस बात पर राजी हुए थे कि आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता संवाद है.’ कश्मीर पर पाकिस्तान की नीति का हवाला देते हुए कुरैशी ने कहा, ‘हम संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव और कश्मीरी लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप कश्मीर मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं.’

उन्होंने कहा कि हम अपने रुख पर कायम हैं और कश्मीरी लोगों के आत्म-निर्णय के अधिकार को नैतिक, कूटनीतिक और राजनीतिक समर्थन देना जारी रखेंगे. कुरैशी ने कहा कि कश्मीर पर हमारा यही रुख है और इस मुद्दे के स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान के लिए हम अपने प्रयास जारी रखेंगे. उन्होंने स्पष्ट किया कि कश्मीरियों की भागीदारी के बिना कश्मीर मुद्दे का कोई भी समाधान स्थायी नहीं होगा. {mospagebreak}

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कुरैशी ने कहा, ‘कश्मीरी लोगों की भागीदारी के बिना भारत और पाकिस्तान के बीच कोई भी संवाद अधूरा होगा.’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सरकार सीमा के दोनों ओर के कश्मीरी नेताओं के लगातार सम्पर्क में है क्योंकि उसका मानना है कि कश्मीर के वास्तविक नेतृत्व को शामिल किए बिना कश्मीर मुद्दे का स्थायी समाधान संभव नहीं है. कुरैशी ने कहा, ‘कश्मीर का मुद्दा पाकिस्तान की विदेश नीति का मुख्य मुद्दा है. हम इससे बेखबर नहीं रह सकते. लेकिन हम संवाद के जरिए इसका शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं. आगे बढ़ने का यह एकमात्र रास्ता है.’

मुंबई पर नवंबर 2008 में आतंकवादी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ जारी संवाद प्रक्रिया स्थगित कर दी थी. कुरैशी ने कहा उन्होंने भारत के साथ कश्मीर का मुद्दा इससे पहले जून 2008 में उठाया था. उन्होंने कहा कि मुंबई हमलों से पहले समग्र वार्ता प्रक्रिया की पांचवे दौर की बातचीत शुरू हो गई थी और भारतीय प्रधानमंत्री अपने पाकिस्तानी समकक्ष के साथ एक मुलाकात के दौरान कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए सतत शांतिपूर्ण संवाद जारी रखने पर सहमत हुए थे. {mospagebreak}

कुरैशी ने कहा कि बाद में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की मुलाकात के दौरान पाकिस्तान ने कश्मीर का मुद्दा सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया था और तमाम मुद्दों पर विचार विमर्श के लिए सहमत होने के बाद सिंह को अपने ही देश में गंभीर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. अपने भारतीय समकक्ष के साथ हुई मुलाकात का हवाला देते हुए कुरैशी ने कहा, ‘संवाद स्थगित होने के दौरान बातचीत के लिए मैंने एक रोडमैप सुझाया था.’

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उन्होंने कहा, ‘हालांकि हम इस बात पर राजी थे कि संवाद बहाल किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा था कि भारतीय नेतृत्व के साथ विचार विमर्श के बाद वह बात करेंगे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.’ कुरैशी ने कहा, ‘भारत और पाकिस्तान दोनों ने ही परिपक्वता दिखाई और नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम, सीमा-पार निर्बाध बस सेवा और नियंत्रण रेखा के आरपार व्यापार समेत विश्वास बहाली के उपाय जारी रखे.’ कुरैशी ने विपक्ष के सांसदों समेत नेशनल असेम्बली के सदस्यों से कश्मीर और नदी जल बंटवारे जैसे मुद्दों के समाधान के लिए अपने सुझाव देने के लिए भी कहा.

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