केंद्र सरकार ने पाकिस्तान से बातचीत के संकेत दिए हैं और संबंधों को सामान्य करने की इच्छा जताई है. रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को दो टूक कहा कि पाकिस्तान अगर संबंधों को ठीक करने का इच्छुक है तो इसकी कुछ सीमाएं है और वह तय करें तभी बातचीत संभव है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, 'हम पाकिस्तान के साथ बातचीत करने, संबंधों को सामान्य करने के इच्छुक हैं, लेकिन इसकी भ्ाी कुछ सीमाएं हैं.'
इकनॉमिक समिट में अरुण जेटली ने पाकिस्तान से कहा, 'हम बात करना चाहते हैं लेकिन आपको तय करना होगा कि क्या आप हमारे विदेश सचिव से बात करना चाहते हैं या फिर उनसे, जो भारत को तोड़ना चाहते हैं.'
आपको बता दें कि भारत ने अगस्त 2014 में पाकिस्तान के साथ विदेश सचिवों की बैठक को आखिरी समय में रद्द कर दिया था, क्योंकि पाकिस्तान ने कश्मीर के अलगाववादियों से मुलाकात कर बातचीत की थी. उन्होंने सख्ती से कहा कि एलओसी में सीजफायर का बार-बार उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
जेटली ने नई दिल्ली से पाकिस्तान को तीन संदेश दिए. 'पहला कि भारत बातचीत करना चाहता है, दूसरा कि हम विदेश सचिव भेजेंगे, लेकिन पाकिस्तान तय करे कि वह विदेश सचिव से बात करना चाहता है या अलगाववादियों से. और तीसरा, अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर के हालात इस तरह से नहीं चल सकते हैं.'
उन्होंने कहा कि इस तरह तनाव के हालात में बातचीत संभव नहीं है. भारत, पाकिस्तान के साथ संबंधों को सामान्य करना चाहता है, लेकिन पाकिस्तान पर निर्भर करता है वह ऐसा करना चाहता है या नहीं.
इसके अलावा उन्होंने श्रम कानून पर भी बात की. जेटली ने कहा, 'श्रम कानून के कुछ पहलुओं को निश्चित रूप से सुधारा जा सकता है.' उन्होंने कहा, 'भारत डब्ल्यूटीओ के तहत व्यापार सुगमता के खिलाफ नहीं, कृषि क्षेत्र में हिस्सेदारी के लिए स्थायी समाधान निकाला जाना चाहिए.' जेटली ने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून में किसानों के लिए मुआवजा बढ़ाने संबंधी प्रावधान को लेकर कोई विवाद नहीं, लेकिन भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया जटिल बना दी गई है. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को सुधारने में काफी समय लगेगा.