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पाकिस्तान को भारी पड़ रही है तालिबान से लड़ाई

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पाकिस्तान के लिये तालिबान रूपी दुश्मन भारी पड़ रहा है और सेना के लिये आतंकवादियों की गुरिल्ला युद्ध करने, सड़क के किनारे बम रखकर कारवां को निशाना बनाने और घात लगाकर हमला करने की रणनीति का तोड़ ढूंढना मुश्किल हो रहा है.

‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ में छपी खबर के मुताबिक पूर्व में अभियान के दौरान तालिबान से मुक्त कराए गए स्वात घाटी और दक्षिणी वजीरिस्तान के इलाकों पर पकड़ बनाए रखना सेना के लिये दुरूह साबित हो रहा है. उन क्षेत्रों में उग्रवादी एक बार फिर सिर उठा रहे हैं और आतंकवाद रोधी अभियान खर्चीले साबित हो रहे हैं.

आतंकवादियों के खिलाफ युद्ध में अनेक सैनिकों के घायल होने का जिक्र करते हुए अखबार ने लिखा ‘‘सही मायनों में जीत जैसी कोई चीज नजर नहीं आ रही है.’ अखबार ने लिखा कि पाकिस्तानी सेना आतंकवादियों का एक जगह से दूसरी जगह पीछा कर रही है और सेना की कार्यप्रणाली पर असैन्य प्रशासन की पकड़ के अभाव के चलते युद्ध में हासिल उपलब्धियां बरकरार नहीं रखी जा पा रही हैं.

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समाचार पत्र ने सेना के अधिकारियों के हवाले से लिखा कि दक्षिणी वजीरिस्तान में चार से 15 के समूहों में काम कर रहे तालिबान लड़ाके पाकिस्तानी सिपाहियों को लगातार निशाना बना रहे हैं. सेना के मुताबिक पिछले दो वषरें के दौरान पाकिस्तानी तालिबान से लड़ाई में दो हजार से ज्यादा सैनिक मारे जा चुके हैं.

पाकिस्तानी सेना के अमेरिका द्वारा दिये गए एफ-16 लड़ाकू जेट विमानों और कोबरा हेलीकॉप्टरों से हमले के दौरान आम नागरिकों के भी मारे जाने की वजह से चिंताएं पैदा हो रही हैं.

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