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आतंक पर PAK को US की फटकार, कहा- जैश और लश्कर का खतरा अब भी बरकरार

अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट कंट्री रिपोर्ट्स ऑन टेररिज्म-2018 में कहा गया है कि लश्कर और जैश पाकिस्तान की जमीन पर अभी भी काम कर रहे हैं, और ये आतंकी संस्थाएं पाकिस्तान में फंड जमा कर रही है, लोगों की नियुक्ति कर रही है और उन्हें ट्रेनिंग दे रही है.

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LeT का चीफ आतंकी हाफिज सईद और जैश का सरगना मसूद अजहर.
LeT का चीफ आतंकी हाफिज सईद और जैश का सरगना मसूद अजहर.

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  • जैश और लश्कर अब भी भारत के लिए खतरा-US रिपोर्ट
  • पाकिस्तान में अब काम कर रहे हैं आतंकी संगठन
  • पाक के दोहरे चाल का अमेरिका ने किया खुलासा

अमेरिका ने आतंकवाद पर पाकिस्तान को एक बार फिर से फटकार लगाई है. अमेरिका ने एक रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसी आतंकी संस्थाएं की गतिविधियों पर रोक लगाने में अभी भी नाकाम रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ये आतंकी संगठन भारत के लिए अभी भी खतरा बने हुए हैं.

लश्कर और जैश पाकिस्तान में सक्रिय

अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट कंट्री रिपोर्ट्स ऑन टेररिज्म-2018 में कहा गया है कि लश्कर और जैश पाकिस्तान की जमीन पर अभी भी काम कर रहे हैं, और ये आतंकी संस्थाएं पाकिस्तान में फंड जमा कर रही है, लोगों की नियुक्ति कर रही है और उन्हें ट्रेनिंग दे रही है. रिपोर्ट में वर्णन किया गया है कि पाकिस्तान की सरकार ने जुलाई 2018 में हुए आम चुनाव में इन संगठनों के लोगों को चुनाव लड़ने की इजाजत दी है. बता दें कि जुलाई 2018 के चुनाव में हाफिज सईद की पार्टी मिल्ली मुस्लिम लीग ने चुनाव लड़ा था.

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लागू नहीं हुआ FATF का एक्शन प्लान

अमेरिकी सरकार ने कहा है कि पाकिस्तान प्रशासन मनी लॉन्ड्रिंग और और काउंटर टेररिज्म पर फाइनैंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स  (FATF) के एक्शन प्लान को पूरी तरह से लागू करने में फेल रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान सरकार की नाकामी की वजह से लश्कर और जैश पाकिस्तान के आर्थिक संसाधनों का अपने लिए इस्तेमाल कर रहे हैं.

रिपोर्ट में लिखा गया है, "2018 में 'क्षेत्र आधारित आतंकवादी समूह खतरा बने रहे, उदाहरण के लिए 2008 के मुंबई हमले के लिए जिम्मेदार पाकिस्तान से संचालित लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद ने अपनी क्षमता और भारत और अफगानिस्तान पर हमला करने के अपने इरादे को बरकरार रखा है. फरवरी 2018 में जैश से संबद्ध आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के सुंजवान स्थित भारतीय सेना के ठिकाने पर हमला किया जिसमें 7 लोग मारे गए थे."

हक्कानी नेटवर्क को रोकने में नाकाम

अमेरिकी विदेश मंत्रालय की इस रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान सरकार अफगानिस्तान की सरकार और अफगान तालिबान के बीच राजनीतिक सुलह का समर्थन करती है लेकिन अपने देश में मौजूद आतंक की शरणस्थली से अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क को अफगानिस्तान में कार्रवाई से नहीं रोकती है. अमेरिका के मुताबिक पाकिस्तान के इस दोहरे कदम से अफगानिस्तान में अमेरिकी और अफगान बलों को खतरा है.

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अमेरिका ने आतंक के खिलाफ पाकिस्तान के कथित एक्शन की भी पोल खोली है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान आतंक को वित्तीय मदद को आपराधिक गतिविधि घोषित करता है, लेकिन इसका पाकिस्तान इस नीति का कार्यान्वयन बहुत कमजोर तरीके से करता है. बता दें कि टेरर फाइनेंसिंग का समर्थन करने के लिए FATF जून में ही पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल चुका है.

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