गोली का जवाब गोली हो. पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब मिले. वो गोली मारते हैं और हम कबूतर उड़ाते हैं. इससे काम नहीं चलेगा. पाकिस्तान को उसकी औकात बताना जरूरी है. ये बोल हैं बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन के.
जैसे ही जम्मू एवं कश्मीर के पुंछ जिला स्थित नियंत्रण रेखा (LOC) पार कर पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए हमले में पांच सैनिकों के शहीद होने की खबर आई. विपक्षी पार्टियों के नेता पाकिस्तान को सबक सिखाने की दलील दे रहे हैं.
शिवसेना नेता संजय राउत के मुताबिक अब पाकिस्तान पर हमला करने का वक्त आ चुका है. उन्होंने कहा, 'अगर वे हमारे पांच लोगों को मारते हैं तो पाकिस्तान की सीमा में घुसकर 50 लोगों का मारो. ऐसा करने पर ही पाक सबक सीखेगा.'
पाकिस्तानी हमले पर बीजेपी के पीएम दावेदार नरेंद्र मोदी की भी प्रतिक्रिया आई. उन्होंने ट्वीट किया, 'आखिर कब जागेगी केंद्र सरकार? सीमा पर हमारे सैनिकों की सुरक्षा करने में केंद्र सरकार विफल है.'
बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी ने कहा, 'एक तरफ पाक संबंध सुधारने की बात करता है और दूसरी तरफ घुसपैठ और हिंसा करता है. यह नहीं चल सकता है. अगर यह सरकार देश की सीमा की रक्षा नहीं कर सकती है तो यह किसी काम की नहीं है.'
विपक्षी नेता भले ही युद्ध का बिगुल बजाने की बात कर रहे हों पर सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस अब भी बातचीत को ही संबंध सुधारने का एकमात्र विकल्प बता रही है. कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज ने कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. अगर पाकिस्तान बातचीत के लिए गंभीर है तो ऐसे हमले बंद होने चाहिए.'
जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पाकिस्तानी सेना के हमले पर कहा कि इस तरह की घटनाएं पाकिस्तान के साथ संबंधों को सामान्य करने या सुधारने की कोशिश में मदद नहीं करतीं.
वहीं, केंद्रीय मंत्री फारुख अब्दुल्ला ने कहा, 'यह कोई नई घटना नहीं है. पिछले कई सालों से पाक इस तरह की हरकत करता रहा है. पाकिस्तान को समझना होगा कि दोस्ती और हिंसा एक साथ नहीं चल सकती. हमारी सेना के सब्र की भी सीमा है. प्रधानमंत्री सितंबर महीने में पाकिस्तानी पीएम से मिलने वाले हैं. उन्हें इस मसले को उठाना चाहिए. बातचीत बंद करने से मसले का समाधान नहीं निकलेगा.'
उधर पंजाब के उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने भी इस घटना की निदा की है. उन्होंने केंद्र सरकार को इस सलाह दी है कि वो कड़ रुख अख्तियार करे. सुखबीर बादल ने कहा कि भारत की उदारवादी नीति का विदेशी ताकतें फायदा उठा रही हैं, उन्होंने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि केंद्र सरकार सख्त फैसले लेने में नाकाम रही है, इस कारण विरोधी उनके इलाके में घुस रहे हैं.