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पाकिस्तान ने भारत को 'फुटबॉल' में हराया

जी हां, यह पढ़कर चौंक गए ना? बात भी ऐसी है क्योंकि भारत और पाकिस्तान में कोई फुटबॉल मैच हाल फिलहाल नहीं हुआ है. हम बात कर रहे हैं फीफा वर्ल्ड कप की जिसमें खेले जाने के लिए फुटबॉल की सप्लाई में पाकिस्तान ने बाजी मार ली.

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फुटबॉल वर्ल्ड कप
फुटबॉल वर्ल्ड कप

जी हां, यह पढ़कर चौंक गए ना? बात भी ऐसी है क्योंकि भारत और पाकिस्तान में कोई फुटबॉल मैच हाल फिलहाल नहीं हुआ है. हम बात कर रहे हैं फीफा वर्ल्ड कप की जिसमें खेले जाने के लिए फुटबॉल की सप्लाई में पाकिस्तान ने बाजी मार ली.

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एक आर्थिक समाचार पत्र ने खबर दी है कि फीफा वर्ल्ड कप में इस्तेमाल किया जाने वाले फुटबॉल की सप्लाई का ऑर्डर पाकिस्तान को मिला और उसने उसकी सप्लाई भी कर दी. पत्र के मुताबिक पाकिस्तान ने यूरोपीय देशों को भेजे जाने वाले फुटबॉल की सप्लाई में भी बाजी मार ली है. इन देशों में फुटबॉल बड़े पैमाने पर खेला जाता है और उसके लिए बॉल के बड़े ऑर्डर आते हैं.

भारत के जालंधर में फुटबॉल बनाए जाते हैं जबकि पाकिस्तान के सियालकोट में. लेकिन जालंधर के कारोबारी चूक गए और वर्ल्ड कप के लिए ब्रज़ुका बॉल बनाने का काम सियालकोट की कंपनियों को मिल गया. वह भी तब जबकि पाकिस्तान में मशीन से गेंद बनाने का काम हाल ही में शुरू हुआ है. समझा जाता है कि वर्ल्ड कप सीजन के लिए पाकिस्तान को 6 करोड़ फुटबॉल भेजने का ऑर्डर मिला है.

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फुटबॉल बनाने में चीन ने जबर्दस्त बढ़त हासिल की है. उसने इसमें भी भारत को हरा दिया था लेकिन वहां मजदूरी बढ़ने से ये बॉल महंगे होने लगे और भारत को फिर से ऑर्डर मिलने लगे. लेकिन इस बार हमारे निर्माता मौका चूक गए.

वर्ल्ड कप के फुटबॉल बनवाने के लिए जानी मानी कंपनी ऐडिडास ने सभी देशों से संपर्क किया. चीन ने कम समय में बहुत सारे बॉल बनाने में असमर्थता जाहिर कर दी. जब तक भारतीय निर्माता कुछ करते, पाकिस्तान की कंपनी फॉरवर्ड स्पोर्ट्स ने ऐडिडास को आश्वस्त कर दिया कि वह उनके लिए बॉल सप्लाई कर सकती है. उसने ये बॉल बनाने के लिए आधुनिक मशीनरी भी मंगा ली और सियालकोट में बॉल बनाने शुरू कर दिए.

जालंधर में बड़े पैमाने पर फुटबॉल बनते हैं और फुटबॉल खेलने वाले बड़े देश जैसे फ्रांस, यूके, यूएसए वगैरह सभी जगह वहां के बॉल जाते हैं और उनके पास ऑर्डर भी हैं. लेकिन उनकी समस्या है कि उनके पास कम मजदूरी में काम करने वाले लोगों का अभाव है. इसके अलावा ट्रेन्ड लेबर का भी अभाव है. इतना ही नहीं भारत में सस्ते कच्चे माल का भी अभाव है. सरकारी मशीनरी भी बेहद सुस्त है. जाहिर है कि यहां उस गति से फुटबॉल नहीं बन सकते.

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भारतीय निर्माताओं का कहना है कि यहां समस्याएं बहुत हैं और इसलिए जल्दबाजी में दिए ऑर्डर हम नहीं ले पाते क्योंकि हमारे पास इसके लिए आधारभूत सुविधाएं नहीं हैं.

भारत को इसी बात से संतोष करना चाहिए कि इन फुटबॉल के ब्लैडर भारत से ही एक्सपोर्ट होते हैं और वर्ल्ड कप में इस्तेमाल होने वाले बॉल में ये ही इस्तेमाल हुए हैं. यहां से ही ये पाकिस्तान भी जाते हैं.

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