पाकिस्तानी अधिकारियों ने शुक्रवार को 113 भारतीय मछुआरों को वाघा सीमा पर भारत के सीमा सुरक्षाबल (बीएसएफ) को सौंप दिया. ये मछुआरे नौ महीने से पाकिस्तान की जेल में थे. इन मछुआरों की रिहाई पाकिस्तान द्वारा इस संबंध में की गई घोषणा के एक दिन बाद हुई है.
पाकिस्तान रेंजर्स के एक अधिकारी ने वाघा में बताया, 'दस्तावेज प्रमाणन प्रक्रिया पूरी होने के बाद हमने 113 भारतीय कैदी बीएसएफ को सौंप दिए हैं.' उनकी रिहाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की टेलीफोन पर हुई बातचीत के बाद शरीफ द्वारा उठाए गए 'सद्भावना' के कदम के तहत हुई है.
मोदी ने भी भारतीय जेलों में बंद 88 पाकिस्तानी मछुआरों को रिहा करने की इच्छा जताई थी, ताकि वे रमजान का महीना अपने परिवार के साथ मना सकें. भारतीय मछुआरों को कल सिंध जिले की मिलार जेल से रिहा किया गया था.
वे शुक्रवार सुबह सिंध पुलिस की सुरक्षा में ट्रेन से पहुंचे और उन्हें रेंजर्स को सौंप दिया गया. भारतीय मछुआरों ने कहा कि वे गलती से पाकिस्तानी जलक्षेत्र में घुस गए थे और उन्होंने नौ महीने जेल में गुजारे.
आलम दादा ने डॉन से कहा, 'हमें पता ही नहीं चला कि हम इधर आ गए. हम तो बड़ी और अच्छी मछली पकड़ने आए थे, लेकिन हमें
क्या पता था कि हम ही पकड़ लिए जाएंगे.' उसने कहा, 'मेरे छह बच्चे हैं. जब मैं यहां जेल में था, तब मेरी पत्नी को बच्चों के लिए लोगों के घरों की
साफ सफाई और उनकी प्लेटें साफ करनी पड़ीं.' आलम ने कहा, 'इस बीच, यहां जेल में मुझे हफ्ते में तीन बार मुर्गे का गोश्त खाने को मिल रहा था. घर
वापस जाने पर मैं नौका लेकर समुद्र में जाने का जोखिम नहीं उठाउंगा. इसकी बजाय मैं मजदूरी करूंगा.'
इनपुट : भाषा