राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की पंचकूला विशेष अदालत ने फरवरी 2007 में समझौता एक्सप्रेस में हुए विस्फोट के मामले में हिंदू नेता स्वामी असीमानंद समेत सभी 4 आरोपियों को बरी कर दिया.सभी चारों आरोपियों को बरी करने पर पाकिस्तान ने भारत के सामने कड़ा विरोध जताया है.
पाकिस्तान सरकार ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायुक्त को बुलाकर आरोपियों को बरी करने पर आपत्ति जताई. इसका जवाब देते हुए भारत ने साफ किया कि हमारी न्यायिक प्रक्रिया पारदर्शी है. सभी सबूतों और गवाहों के मद्देनजर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. भारत ने कहा कि इस मामले में पाकिस्तान खुद नहीं सहयोग कर रहा था. गवाहों का भेजा गया समन पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने वापस भेज दिया था.
Sources on Pakistan summoning the Indian High Commissioner today: Indian HC rejected Pakistan assertions. He highlighted the due process of law was followed by the Indian Courts and judicial system in a transparent manner. https://t.co/GoP0GHJy8Z
— ANI (@ANI) March 20, 2019
18 फरवरी 2007 को हरियाणा के पानीपत के पास ट्रेन में हुए इस बम विस्फोट में 68 लोग मारे गए थे, इनमें 43 पाकिस्तानी, 10 भारतीय और 15 अज्ञात लोग थे. 10 पाकिस्तानियों समेत कई लोग घायल भी हुए थे.
Pakistan MoFA (Ministry of Foreign Affairs) statement: Pakistan summons the Indian High Commissioner to register a strong protest and condemnation of the acquittal of all four accused in the Samjhauta terror attacks
— ANI (@ANI) March 20, 2019
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि भारत के हाई कमिश्नर के खिलाफ इस मामले को विरोधस्वरूप उठाया गया और समझौता ब्लास्ट केस में सभी आरोपियों के रिहा होने पर कड़ी आपत्ति जताई गई है.
NIA की अदालत ने जनवरी 2014 में असीमानंद, कमल चौहान, राजिंदर चौधरी और लोकेश शर्मा के खिलाफ आरोप तय किए थे, इन सभी पर हत्या, देशद्रोह, हत्या, हत्या की कोशिश, आपराधिक साजिश के आरोप थे. शुरुआत में हरियाणा पुलिस ने मामले की जांच की, लेकिन जुलाई 2010 को जांच एनआईए को सौंप दिया गया. समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस में पहली चार्जशीट 2011 में फाइल की गई. इसके बाद 2012 और 2013 में भी सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की गई.
बुधवार को एनआईए की अदालत ने इस केस में पहले पाकिस्तानी महिला राहिला वकील की याचिका खारिज की और उसके बाद अपना फैसला सुनाया. विशेष अदालत ने राहिला की याचिका सीआरसीपीसी की धारा 311 के तहत खारिज कर दिया. बता दें, 14 मार्च को ही इस मामले में फैसला सुनाया जाना था. लेकिन इससे ठीक पहले राहिला ने ईमेल के माध्यम से याचिका दायर कर दी, जिसके बाद कोर्ट ने फैसला टाल दिया था. राहिला ने अपने वकील मोमिन मलिक के माध्यम से कहा था कि वह मामले में गवाही देना चाहती हैं. राहिला के पिता की विस्फोट में मौत हुई थी.
राहिला ने याचिका में जिक्र किया था कि पाकिस्तान के पीड़ित परिवारों को गवाही देने का अवसर नहीं मिला है और न ही उन तक समन तामील हुए हैं. ऐसे में एक बार उन्हें गवाही का मौका दिया जाए. वहीं कोर्ट में NIA के वकील ने अपनी दलील रखते हुए कहा कि NIA की ओर से जो 13 पाकिस्तानी गवाहों की लिस्ट दी गई थी, उसमें राहिला वकील का नाम नहीं था. इस केस में बहस होने के बाद अदालत ने 6 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
वारदात के बारे में
यह एक आतंकवादी घटना थी, जिसमें 18 फरवरी, 2007 को भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली ट्रेन समझौता एक्सप्रेस में विस्फोट किया गया था. यह ट्रेन दिल्ली से अटारी पाकिस्तान जा रही थी. ट्रेन रात के 10.50 बजे दिल्ली से रवाना हुई थी. इसमें 16 कोच थे. ब्लास्ट 2 अनारक्षित कोच में हुआ था. जांच में पता चला है कि 4 IED प्लांट किए गए थे, जिनमें 2 ब्लास्ट हुए थे. इस केस में स्वामी असीमानंद को मुख्य आरोपी बनाया गया था, जिन्हें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने 2015 में जमानत दे दी थी.