जासूसी के मामले में पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव मामले में हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में तीसरे दिन भारत ने दूसरे दौर की जिरह में अपना पक्ष रखा. भारत का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट के पटल पाकिस्तान को बेनकाब किया. साल्वे ने कहा कि पाकिस्तान में जाधव के मामले में 4-6 महीने सुनवाई पूरी हो गई. लेकिन मुंबई हमले में मारे गए 150 लोगों के मामले में क्या हुआ? पुलवामा हमले का जिक्र करते हुए साल्वे ने कहा कि खुद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच से बचाने के लिए पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव मोहरे के तौर पर इस्तेमाल किया.
दूसरे दौर के जिरह में भारत का पक्ष रखते हुए हरीश साल्वे ने कहा कि इस कोर्ट को यह तय करने में विशेषज्ञों की मदद की आवश्यकता नहीं है कि पाकिस्तान में सैन्य अदालतें प्रक्रिया के अनुरूप हैं या नहीं. इंटरनेशनल कमीशन ऑफ ज्यूरिस्ट्स और यूरोपीय संसद ने पाकिस्तान की सैन्य अदालतों की आलोचना की है. साल्वे ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा न्यायालय की कार्रवाई डिरेल करने की तीन बार नाकाम कोशिश की गई.
साल्वे ने कहा कि पाकिस्तान की अदालतों द्वारा न्यायिक समीक्षा के दायरे सीमित हैं, उन्होंने कई बार सैन्य अदालत के फैसले में हस्तक्षेप नहीं किया है. कसाब मामले में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि चूंकि यह मौत की सजा का मामला है, इसलिए उन्होंने रिकॉर्ड की जांच की. समीक्षा इसे कहते हैं.
हरीश साल्वे ने कहा कि पाकिस्तानी ने मौखिक सुनवाई से पहले 18 फरवरी को जाधव के कथित कबूलनामे का वीडियो जारी करने का प्रयास किया लेकिन कोर्ट ने वीडियो को रिकॉर्ड में लेने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने ऐसे साक्ष्य प्रस्तुत करने का प्रयास किया जिसे मौखिक प्रस्तुतियों के माध्यम से अस्वीकार कर दिया गया. साल्वे ने कहा कि जाधव का बायो-डेटा बताता है कि वो भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी हैं. यह उनकी भारतीय नागरिकता का प्रमाण है. भारतीय नागरिक उस तरह के नहीं हैं जिनकी राष्ट्रीयता को नकारने की जरूरत है.
साल्वे ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच साल 2008 का द्विपक्षीय समझौता वियना संधि के अनुच्छेद 36 द्वारा दिए गए अधिकारों को नहीं छीन सकता. उन्होंने कहा कि काउंसुलर रिश्तों पर वियना कन्वेंशन का अनुच्छेद 36 जाधव की गिरफ्तारी के बाद से लागू होता है. पाकिस्तान ने एवेना केस पर भरोसा किया जो उनके खिलाफ जाता है. केस के मुताबिक एक बार जब यह पता चल जाता है कि कोई बंदी विदेशी नागरिक है, काउंसुलर एक्सेस दी जानी चाहिए.
साल्वे ने एक वरिष्ठ कानूनविद द्वारा कहे शब्दों का जिक्र करते हुए कहा, जब आप कानून में मजबूत होते हैं तो कानून पर हथौड़ा मारते हैं, जब आप तथ्यों पर मजबूत होते हैं तो तथ्यों पर हथौड़ा मारते हैं और जब आप इनमें से किसी पर भी मजबूत नहीं होते तो टेबल पर हथौड़ा मारते है. कोई केस न होने के चलते पाकिस्तान ने कहावती टेबल पर हथौड़ा मारा है. पाकिस्तान की तरफ से भारत के बारे में 'बेशर्म' और 'घमंडी' जैसे शब्दों का कई बार इस्तेमाल किया गया. भारत अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के समक्ष इस अपमान पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराता है.