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पाकिस्तान में होगी पहली ‘ट्रांसजेंडर’ डॉक्टर

पाकिस्तान में 23 वर्षीय एक ‘ट्रांसजेंडर’ लड़की डॉक्टर बनकर इतिहास रचने के करीब है.

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पाकिस्तान में 23 वर्षीय एक ‘ट्रांसजेंडर’ लड़की डॉक्टर बनकर इतिहास रचने के करीब है.

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जिन्ना मेडिकल और डेंटल कॉलेज, कराची में पंजीकृत सारा गिल ने एक स्थानीय अखबार से कहा, ‘‘हमारे समुदाय को इस्लाम में और मुस्लिम शासकों के इतिहास में बहुत इज्जत मिली है.’’ उसने कहा, ‘‘अंग्रेजों के इस महाद्वीप में आने के बाद ही कानून में हमें अपराधी करार दिया गया और तब से हमारा समुदाय लगातार अमानवीय भेदभाव का सामना कर रहा है.’’ गिल ने अफसोस जताते हुए कहा कि ब्रिटिश शासकों के कानून अब भी पाकिस्तान के संविधान में हैं.

सारा ने कहा, ‘‘भेदभाव और उत्पीड़न की वहज से मेरे समुदाय में निरक्षरता दर बहुत कम है और जो लोग कुछ पढ़े लिखे हैं उन्हें नौकरी नहीं मिलती.’’ उसने कहा कि हमारे समुदाय के सदस्यों के साथ सामाजिक अन्याय के बावजूद वे मुश्किल से ही किसी आपराधिक गतिविधि में हैं.

सारा को कॉलेज में पुरुष अभ्‍यर्थी के तौर पर नाम लिखाना पड़ा था. उसने कहा कि उसके सहपाठियों को उसकी पहचान पता थी, जोकि औपचारिक तौर पर कभी नहीं बतायी गयी. उसके माता पिता चाहते थे कि वह खुद को पुरुष ही बताये.{mospagebreak}उसने कहा, ‘‘उन्होंने जोर दिया कि मैं जीवन भर एक लड़के की तरह रहूं, जबकि मुझे पता है कि मैं नहीं हूं. उन्होंने कहा कि मैं स्वार्थी हूं और उनकी बात नही मान रही और मेरे ट्रांसजेंडर घोषित होने के बाद परिवार की इज्जत चली जाएगी. हर ट्रांसजेंडर को समान स्थिति का सामना करना होता है.’’

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सारा ने कहा, ‘‘ट्रांसजेंडर के लिए मूल उर्दू शब्द ‘मूरत’ है जो कि उर्दू में मर्द के ‘म’ और औरत के ‘उरत’ से बना है. हम एक दूसरे को इसी नाम से पुकारते हैं.’’ हालांकि अपना मेडिकल पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद सारा ने अपनी पहचान बताने का फैसला किया. वह संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों से मिलने इस्लामाबाद आयी थी.

उसने कहा, ‘‘मेरे परिवार ने मुझे आगाह किया कि यदि मैं खुद को ट्रांसजेंडर घोषित कर दूंगी तो वे मेरी पढ़ाई का खर्च नहीं देंगे. अब मुझे अगले साल के शुल्क का बंदोबस्त खुद करना होगा.’’ सारा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद उसके समुदाय के लिए विशेष पहचान पत्र जारी नहीं किये गये हैं.

उसने कहा, ‘‘मेरे समुदाय का बड़ा तबका निरक्षर है और उन्हें अपने अधिकार नहीं पता. सरकारी अधिकारियों का सामना जब पढ़े लिखे ट्रांसजेंडर से होता है तो उन्हें आश्चर्य होता है.’’ {mospagebreak}सारा ने कई मौकों पर खुदकुशी की कोशिश की भी बात कबूल की. उसने कहा, ‘‘एक आम आदमी हमारी दिमागी स्थिति को कभी नहीं समझ सकता. यह इस तरह है जैसे गलत शरीर में आत्मा फंस गयी हो.’’

सारा एक एनजीओ भी चलाती है. उसका कहना है, ‘‘मुझे मेरी लैंगिक पहचान से कोई शर्म नहीं है और सबसे बड़ी प्रेरणा यह है कि मेरे समुदाय को मेरी जरूरत है.’’

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