पाकिस्तान, अमेरिका के बढ़ते दबाव और उसके साथ रिश्तों में तनाव के बावजूद हक्कानी नेटवर्क के विरूद्ध सैन्य कार्रवाई नहीं करेगा.
मीडिया की खबरों के अनुसार, यह निर्णय पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी की अध्यक्षता में रविवार को संपन्न कोर कमांडरों की विशेष बैठक में किया गया. अखबार ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने एक सैन्य अधिकारी के हवाले से लिखा है कि कमांडरों ने उत्तरी वजीरिस्तान में हक्कानी नेटवर्क के विरूद्ध कार्रवाई की अमेरिकी मांग का विरोध करने का निर्णय किया है.
बैठक में अमेरिका द्वारा पाकिस्तानी सीमा में एक तरफा कार्रवाई के संभावित परिणाम पर भी चर्चा की गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस निर्णय से ‘दोनों देशों के रिश्ते और खराब हो सकते हैं.’
सैन्य अधिकारी ने कहा, ‘अमेरिका को पहले ही बताया जा चुका है कि पाकिस्तान जो कुछ कर चुका है, उसके दायरे से और आगे वह नहीं जा सकता.’
हालांकि समाचारपत्र ‘डॉन’ ने अपने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि कोर कमांडरों की बैठक सबसे पहले रविवार को हुई जिसमें परिस्थिति पर काबू पाने की जरूरत पर सहमति जतायी गयी. एक सूत्र के हवाले से अखबार ने लिखा है कि यह बैठक छुट्टी के दिन हुई जिससे पता चलता है कि अमेरिकी अधिकारियों द्वारा लगातार आरोप लगाने से उत्पन्न ‘संकट की गंभीरता कितनी है.’
सूत्र ने कहा, ‘तनाव में वृद्धि हानिकारक है. लागत लाभ विश्लेषण के लिहाज से लगता है कि मुकाबले से कोई लाभ नहीं है.’ डॉन ने भी लिखा है, ‘ऐसा नहीं लगता कि अमेरिकी दबाव में सेना हक्कानी नेटवर्क के विरूद्ध कार्रवाई करने पर सहमत हो गयी है.’ छह घंटे तक चली बैठक के बारे में सेना की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है.
बैठक शुरू होने से पहले एक संक्षिप्त बयान जारी किया गया था जिसमें कहा गया कि जनरल कयानी ने ‘मौजूदा परिस्थिति पर चर्चा करने के लिए’ एक विशेष बैठक बुलाई है. अमेरिकी सेना प्रमुख एडमिरल माइक मुलेन ने पिछले हफ्ते आरोप लगाया था कि पाकिस्तान की आईएसआई ने हक्कानी नेटवर्क की अफगानिस्तान में हमले करने के लिए सहायता की है. कयानी ने इस आरोप को ‘तथ्यरहित’ बताते हुए खारिज कर दिया था.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री युसुफ रजा गिलानी ने विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार को शीर्ष नेताओं के बैठक में भाग लेने के लिए अमेरिकी दौरा बीच में ही खत्म कर वापस पाकिस्तान लौटने के लिए कहा. बैठक में दोनों पक्षों के बीच बढ़ते तनावों पर विचार किया जाएगा.
इसी समय पाकिस्तान की सेना ने सार्वजनिक तौर पर हक्कानी नेटवर्क के साथ अपने संबंधों को स्वीकार किया और कहा कि सुरक्षा बलों की तालिबान से जुड़े इस संगठन के विरूद्ध कार्रवाई करने की कोई योजना नहीं है.
सेना के मुख्य प्रवक्ता मेजर जनरल अतहर अब्बास ने सीएनएन से कहा, ‘कोई भी खुफिया एजेंसी कुछ सकारात्मक परिणामों के लिए किसी भी विरोधी समूह, आतंकवादी संगठन से संपर्क रखती है.’ उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि आईएसआई संगठन का समर्थन अथवा पुष्टि करती है.