पाकिस्तान ने दुनिया से फिर वादा किया है. पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने शुक्रवार को लंदन में भरोसा दिलाया कि वो अपनी जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होने देंगे. लेकिन, सवाल उठता है कैसे भरोसा किया जाए इस पर. उनके वादे से एक रोज पहले ही सरहद पर आतंकी घुसपैठ कराने के लिए पाक रेंजरों ने बीएसएफ के पोस्ट पर फायरिंग की थी.
फिर दिखा पाकिस्तान का दोहरा चेहरा
एक तरफ सरहद पर फायरिंग की आड़ में घुसपैठ कराने की कोशिश तो दूसरी तरफ आतंकवाद से लड़ने में मदद का भरोसा. दो दिन में दिख गया पाकिस्तान का दोहरा चेहरा. पाकिस्तान मुंबई हमले के गुनहगारों को सजा दिलाने में भारत का सहयोग करने को तैयार है. यही नहीं वो अपने किसी भी इलाके का इस्तेमाल भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों में नहीं होने देगा. जरदारी ने ये भी भरोसा दिलाया कि पाक ऐसे किसी भी शख्स को इंसाफ के कटघरे में खड़ा करने को कटिबद्ध है जिसका झुकाव आतंकी मानसिकता की तरफ है. उन्होंने इसके लिए मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और जमात-उल-दावा के प्रमुख हाफिद सदई के खिलाफ कार्रवाई का हवाला भी दिया.
सिर्फ बोलना नहीं करना भी जरूरी
हो सकता है भारत और अमेरिकी दबाव में जरदारी ऐसा कहने पर मजबूर हुए हों, लेकिन, जरदारी जब लंदन में लंबे-चौड़े वादे और दावे कर रहे थे, तब शायद वो भूल गए कि जम्मू के अखनूर सेक्टर में एक दिन पहले ही उनके रेंजर्स सरहद पर गोलीबारी कर रहे थे. जिसका प्रकट मकसद आतंकियों को भारतीय सीमा में घुसपैठ कराना था. यही वजह है कि फ्लैग मीटिंग में बीएसएफ को पाक रेंजरों को ऐसी हरकतों से बाज आने की चेतावनी देने पर मजबूर होना पड़ा. इस बीच, पाकिस्तान ने भारत से इजरायल से मिली उस सूचना को साझा करने को कहा है जिसमें कहा गया है कि लश्कर-ए-तैयबा भारत में मुंबई जैसे हमले हो फिर अंजाम दे सकता है. पाक विदेश मंत्रालय के मुताबिक इससे समय रहते आतंकी कोशिशों को नष्ट करने में मदद मिलेगी. लेकिन, सवाल उठता है कि सिर्फ कहने से क्या होता, इसके लिए ऐक्शन जरूरी है, जो अब तक दिख नहीं रहा.