ऑफिस में पुशअप का वीडियो डालकर लोगों को फिटनेस चैलेंज देने वाले केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ ने पंचायत आजतक के मंच पर खुलासा किया है कि ये आइडिया उन्हें कहां से आया.
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री और युवा मामले एवं खेल राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने पंचायत आजतक के मंच पर कहा कि आज देश में 30 से 40 साल के लोग भी हार्ट अटैक, डिप्रेशन जैसी बीमारी से जूझ रहे हैं. लोगों के जीवन में तनाव बढ़ता जा रहा है. हमारे पीएम नरेंद्र मोदी भी लगातार स्वस्थ रहने की बात करते हैं. इसीलिए हमने सोचा कि क्यों न काम के साथ व्यायाम को भी जोड़ लिया जाए.
पुशअप वाला वीडियो प्लानिंग के तहत था या फिर बैठे-बैठे वीडियो का ख्याल आया? इस पर राठौड़ ने कहा कि मुझे लगा कि क्यों न युवा देश को चुनौती दी जाए.
खेल मंत्रालय पर राठौड़ ने कहा कि सिर्फ ओलंपिक की तैयारी करना ही खेल मंत्रालय का काम नहीं है. हमारी प्राथमिकता देश को स्वस्थ रखना है. ये सिर्फ स्वास्थ्य मंत्रालय का काम नहीं है. हम 2024 या फिर 2028 में ओलंपिक जीतने के लिए काम नहीं कर रहे हैं. हम सबसे पहले देश की सेहत का फाउंडेशन अच्छा बनाने की कोशिश कर रहे है.
एक सवाल के जवाब में राठौड़ ने कहा कि मुझसे पहले अभी तक जितने भी खेल मंत्री रहे हैं, वे ये सोचते होंगे कि ये क्या खेल मंत्रालय दे दिया. इसमें ज्यादा काम नहीं है. ताकतवर मंत्रालय मिलता तो ज्यादा अच्छा होता. लेकिन मैं ऐसा बिलकुल नहीं मानता. हमारे प्रधानमंत्री खुद सेहत को लेकर बहुत फिक्रमंद हैं. वे सीधे हमारे काम पर ध्यान देते हैं.
राज्यवर्धन राठौड़ ने कहा कि केन्द्र सरकार देशभर में 8 से 12 साल के बच्चों का टेस्ट करते हुए उनके खेलकूद में जाने के रास्ते को जानने की कोशिश करेगी. राठौड़ ने कहा कि इस योजना के तहत हम देशभर में लगभग 1 करोड़ बच्चों का परीक्षण करते हुए लगभग 20,000 बच्चों को शॉर्टलिस्ट करेंगे और यह तय करेंगे कि कौन से बच्चे किस खेल के लिए ज्यादा अच्छे हो सकते हैं. इसके बाद जिन बच्चों को खेल में भविष्य बनाना है, उनके लिए केन्द्र सरकार से स्कॉलरशिप का प्रावधान किया जाएगा.
राज्यवर्धन सिंह ने फेक न्यूज के मुद्दे पर कहा कि सोशल मीडिया एक बहुत बड़ी ताकत है और उस ताकत को बचाकर रखने की जरूरत है. यदि किसी सूचना का सत्यापन नहीं किया जाएगा तो फेक न्यूज का मामला सामने आता रहेगा. इसके लिए सिर्फ सोशल मीडिया ही नहीं बल्कि न्यूजरूम को भी ज्यादा सजग होने की जरूरत है. देश की जनता को भी मीडिया की इन खामियों को देखते हुए किसी भी खबर का पहले निजी तौर पर सत्यापन करने की जरूरत है.