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जापान: फुकुशिमा के रिएक्‍टर नं. 3 से रिसाव

जापान में परमाणु संकट और गहरा गया है. जापान सरकार के प्रवक्‍ता ने कहा है कि फुकुशिमा के रिएक्‍टर नं. 3 से रिसाव हो रहा है.

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फुकुशीमा का परमाणु रिएक्टर
फुकुशीमा का परमाणु रिएक्टर

जापान में परमाणु संकट और गहरा गया है. फुकुशीमा का एक और परमाणु रिएक्टर खतरे में है. जापान सरकार के प्रवक्‍ता ने कहा है कि फुकुशिमा के रिएक्‍टर नं. 3 से रिसाव हो रहा है.

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हालांकि अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी ने फुकुशीमा के परमाणु खतरे को 1 से 7 के स्केल पर चार का दर्जा दिया है, यानी इस दुर्घटना से स्थानीय स्तर पर नुकसान हो सकता है, लेकिन लोग किसी अनहोनी की आशंका से भरे हुए हैं. इस बीच, जापान के सेनदाई में फंसे 30 भारतीयों को रिफ्यूजी कैंप भेज दिया गया है.

शनिवार के धमाके से पैदा हुई आशंका अभी खत्म भी नहीं हुई है कि एक और बुरी खबर आ रही है. टोक्यो पॉवर कंपनी ने कहा है कि फुकुशीमा का एक और रिएक्टर खतरे में है. रिएक्टर नंबर 3 का कूलिंग सिस्टम भी बेकार हो चुका है और वहां किसी भी वक्त धमाका हो सकता है. 

जापान सरकार के सामने पेश की गई इमरजेंसी रिपोर्ट में कहा गया है कि सुबह 5.30 पर रिएक्टर नंबर तीन में वॉटर इंजेक्शन बंद हो चुका है और रिएक्टर के भीतर दबाव बढ़ता जा रहा है. अगर रिएक्टर नंबर 3 के भीतर दबाव को कम करने के लिए फौरन उपाय नहीं किए गए तो एक बार फिर हो सकता है बड़ा धमाका. अगर ऐसा हुआ तो जापान पर मंडरा रहा परमाणु दुर्घटना का खतरा और खतरनाक शक्ल अख्तियार कर सकता है.{mospagebreak}

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शनिवार दोपहर फुकुशीमा परमाणु संयंत्र में धमाके के बाद से पूरे जापान की सांसे एक गहरी आशंका में टंगी हुई हैं. एक धमाके के साथ फुकुशीमा के दाईची परमाणु संयंत्र की वो इमारत उड़ गई, जिसके भीतर रिएक्टर नंबर एक मौजूद है. धमाका कितना ताकतवर था, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कई फुट मोटी कंक्रीट की दीवार के अब सिर्फ ढांचे ही बचे हैं. ऊपर का पूरा हिस्सा धमाके से उड़ गया.

टोक्यो पॉवर कंपनी के मुताबिक धमाके में रिएक्टर की सिर्फ बाहरी दीवार उड़ी है. करीब 15 सेंटीमीटर मोटा स्टील का वो ढांचा सलामत है, जिसके भीतर रेडियोएक्टिव फ्यूल रॉड रखा हुआ है.

रिएक्टर में हुए धमाके के बारे में मिल रही जानकारी के मुताबिक रिएक्टर नंबर 1 के फ्यूल रॉड को ठंढा करने के लिए पानी का इस्तेमाल किया जा रहा था, जिससे बड़ी मात्रा में हाइड्रोजन गैस बन रही थी. रिएक्टर के भीतर हाइड्रोजन के बढ़ते दबाव को कम करने के लिए ऑपरेटर ने उसकी कुछ मात्रा रिलीज की थी. बाहर आया हाइड्रोजन जैसे ही हवा या पानी के साथ मिला, तेजी से प्रतिक्रिया हुई और रिएक्टर में धमाका हो गया.

इस धमाके के बाद सफेद गैस का गुबार आखिर क्या था, इस सवाल को लेकर सस्पेंस बना हुआ है. सवाल उठ रहे हैं कि इस गैस में कहीं रेडियोएक्टिव पदार्थ तो नहीं थे. रिएक्टर से निकली इस गैस का आबादी पर कोई खतरनाक असर न हो इसके लिए 20 किलोमीटर के दायरे से लोगों को खाली हटा दिया गया है.

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