आर्थर रोड जेल में बंद एनसीपी नेता छगन भुजबल के बेटे और विधायक पंकज भुजबल भी कभी भी सलाखों के पीछे पहुंच सकते हैं. प्रर्वतन निदेशालय (ईडी) की टीम बुधवार को उन्हें गिरफ्तार करने के लिए मंत्रालय तक पहुंच गई.
घोटाले में कुल 32 आरोपी महाराष्ट्र सदन घोटाले की जांच कर रहा प्रर्वतन निदेशालय अगले 24 घंटे में मामले से जुड़े सभी आरोपियों की गिरफ्तारी करने के मूड में है. 870 करोड़ के महाराष्ट्र सदन घोटाले में छगन भुजबल, उनके भतीजे समीर भुजबल (पहले से ही जेल में), बेटे पंकज भुजबल को मिलाकर 32 आरोपी और हैं. ये आरोपी भी बड़े कॉरपोरेट एक्जीक्यूटिव, बिजनेसमैन, नेता और छगन भुजबल के स्टाफ हैं. आज तक को एक सीनियर ईडी अधिकारी ने बताया कि ‘हमें ऊपर से इस मामले की जांच 60 दिन के अंदर पूरे करने के निर्देश मिले हैं.'
आरोपियों को तलाश रही हैं ईडी की 7 टीमें
बुधवार को सुबह से ही ईडी की सात टीमें इन सभी आरोपियों के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट के साथ इनकी तलाश में लगी रहीं. आज तक को मिली जानकारी के मुताबिक पंकज भुजबल मंत्रालय में है. उन्हें
गिरफ्तार करने के लिए ईडी की एक टीम वहां गई हुई है. केस के कुछ आरोपी फरार भी हैं. आरोपियों की लिस्ट में शामिल एक नाम डेवलपर विनोद गोयनका का भी है उन्होंने पहले से ही अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट
में अपील कर रखी है.
कई आरोपियों के खिलाफ जारी हो चुके हैं गैर जमानती वारंट
पिछले हफ्ते कोर्ट ने चार्जशीट का संज्ञान लेते हुए आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए थे. 11000 पन्नों की चार्जशीट में डीबी रीयल्टी, बल्वा ग्रुप ऑफ कंपनीज, नीलकमल रीयल्टर एंड बिल्डर्स प्राइवेट
लिमिटेड औऱ काकड़े इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे बड़े कॉरपोरेट हाउस शामिल हैं. कोर्ट ने संजय काकड़े (राजनेता), आसिफ बल्वा, सुनील नायक, सुरेश जगदोया, प्रवीण जैन, संजीव जैन, चंद्रशेखर सरदा, संजय जोशी, नीलेश साहू,
सुधीर केसरकर, सुधीर सालस्कर, अमित श्रीवास्तव, तन्वीर शेख, कृष्णा चमनकर, प्रसन्ना चमनकर, प्रशांत चमनकर, शैलेश मेहता और जगदीश पुरोहित आदि के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किया है.
ईडी ने भुजबल की ऐसी कई प्रापर्टी खोज निकाली हैं जिनके तार घोटाले के 600 करोड़ की रकम से जुड़े हैं. इन सभी प्रॉपर्टी को जल्द जब्त किया जाएगा. ईडी पहले ही भुजबल की 131.86 करोड़ की प्रॉपर्टी जब्त कर चुका है.
छगन भुजबल पर घूसखोरी के आरोप
2015 में ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉडरिंग एक्ट के तहत इस केस में एफआईआर दर्ज की थी. छगन भुजबल पर आरोप है कि उन्हें अपने मंत्रीपद का दुरुपयोग करते हुए दिल्ली स्थित महाराष्ट्र सदन के अलावा दूसरे
निर्माण कार्यों का ठेका देने की एवज में घूस ली. घूस का पैसा पहले पश्चिम बंगाल फिर महाराष्ट्र लाया गया. अंधेरी स्थित आरटीओ ऑफिस की बिल्डिंग भी ईडी के रडार पर है.